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आपके आसपास जो भी लोग हैं, उनके लिए आप हमेशा अपनी ओर से जो भी उत्त म हो सके कीजिए, क्योंकि हो सकता है कि कल वे न रहें या कहीं आप ही न रहें।
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आज का दिन अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए है, जिन्होंने कई तरह से हमारे जीवन में योगदान दिए हैं।
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हम आने वाली पीढ़ियों के देनदार हैं। हमने जितना नुकसान पहुंचाया है, उसकी भरपाई करनी होगी। इसीलिए नदी अभियान है।
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अगर हम अपने मन को शांतिपूर्ण नहीं रख सकते, तो दुनिया शांतिमय कैसे हो सकती है? जो बाहरी दुनिया है, वो इंसान के मन का ही प्रतिबिंब है।
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आत्म ज्ञान का बीज हर इंसान के अंदर मौजूद है। आत्मसज्ञान बस एक बोध है।
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हम प्रकृति से जितना दूर जाते हैं, हम अपनी खुद की प्रकृति से भी उतना ही दूर हो जाते हैं।
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जब आप खुद को नहीं जानते, सिर्फ तभी दूसरों की राय महत्वपूर्ण होती है।
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इस संस्कृति में, हम कहते हैं कि शक्ति के बिना शिव मृत शरीर की तरह हैं। शक्ति या ऊर्जा के बिना अस्तित्व नहीं हो सकता।
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ज्यादातर पीड़ा खुद की पैदा की हुई होती है। अपने शरीर और मन को अपने लिए नुकसानदायक नहीं, बल्कि फायदेमंद कैसे बनाएं – आप यह सीख सकते हैं।
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प्रेम कोई काम नहीं है – यह एक गुण है।
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आपके पास कितना है, आपने कितना बटोरा है, इससे आपका जीवन भव्य नहीं बनता। आपका अनुभव कितना गहरा है, इससे जीवन भव्य बनता है।
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हजारों सालों से, इन नदियों ने हमें हमारी माताओं की तरह गले लगाया और पोषित किया है। अब समय आ गया है कि हम उन्हें गले लगाएं और पोषित करें।
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जब आतंकवाद की बात आती है, तो इसका कोई तत्काल समाधान नहीं है। एक-एक इंसान का रूपांतरण ही एकमात्र टिकाऊ समाधान है।
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बुद्धिमान लोगों को आश्च र्य होता है – मूर्खों को पक्का यकीन होता है।
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भारत की बुनियादी ताकत यह है कि हम खोजियों की धरती रहे हैं – हम सत्य और मुक्ति के खोजी रहे हैं।
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आप जो पानी पीते हैं, अगर आप उसे कृतज्ञता और सम्मा न से देखते हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप स्वस्थ और संतुलित होंगे।