अगर आप किसी से प्रेम करते हैं, तो आपको उनके लिए वो करना चाहिए जो उन्हें पसंद है, न कि वो जो आपको पसंद है।
ईमानदारी या चरित्र का संबंध काम से नहीं, बल्कि उसके मकसद से जुड़ा होता है। क्या आप कोई काम सबकी भलाई के लिए कर रहे हैं या सिर्फ अपने फायदे के लिए?
आत्म-रूपांतरण खुद को बस बदल लेने के बारे में नहीं है। इसका मतलब है कि खुद को आप अनुभव और बोध के एक बिल्कुलल नए आयाम में ले गए हैं।
अगर आप चाहते हैं कि हर कोई आपसे प्रेम करे, तो पहली चीज यह है कि आपको उन सब से प्रेम करना होगा।
मानव चेतना को ऊपर उठाए बिना, हम दुनिया में जो भी करते हैं, उससे दुनिया में सिर्फ और अधिक पीड़ा ही पैदा होगी।
अगर आप खुद ही अपने आनंद के स्रोत बन जाते हैं, तो आपके जो भी रिश्ते होंगे, वो शानदार होंगे।
जब ध्वनियां तालमेल में होती हैं, तो वे संगीत बन जाती हैं। तालमेल में न होने पर, वे शोर बन जाती हैं। आपके साथ भी यही लागू होता है। जब आपके सभी पक्ष तालमेल में होते हैं, आप संगीत बन जाते हैं, तालमेल में न होने पर, आप शोर बन जाते हैं।
सृष्टि का स्रोत बहुत सूक्ष्म है। अगर आप अपने शरीर और मन की बकबक को बंद कर देते हैं, सिर्फ तभी यह बोलेगा।
जो भारतीय शास्त्रीय संगीत है, वो जीवन की गहनता को ध्वनि के जरिये बताता है।
इस महाशिवरात्रि पर, आप वेलिंगिरि की तलहटी में, सही जगह और सही समय पर हैं। अगर आप खुद को ग्रहणशील बनाते हैं, तो यह जागृति की रात बन सकती है।
भक्ति कर्मों को मिटा देती है और मुक्ति तक पहुंचा देती है।
आध्यात्मिक व्यक्ति और सांसारिक व्यक्ति दोनों ही उसी अनंत को खोज रहे हैं। एक उसे सचेतन रूप से खोज रहा है और दूसरा अनजाने में।
स्वयंसेवा का मतलब है कि आप इच्छुक हैं। दूसरे शब्दों में, आप जीवन को लेकर एक पूर्ण ‘हां’ बन गए हैं।
हमारा जीवन अपनी संपूर्ण संभावना में खिल उठे – इसीलिए तो जीवन है, इसी के लिए योग है, इसी के लिए आध्यात्मिक प्रक्रिया है।
आंख या नाक की बनावट चाहे जैसी भी हो – एक आनंदित चेहरा हमेशा सुंदर होता है। आनंद बन जाइए – सुंदर बन जाइए।