अगर धरती पर इंसान न हों, तो धरती फलेगी-फूलेगी। सवाल ये नहीं है कि हम कितने उपयोगी हैं, सवाल ये है कि हम कितनी सुंदरता से जीवन जीते हैं।
योग, अपनी ऊर्जा को परम संभावना के लिए उन्नंत बनाने, सक्रीय और शुद्ध करने की तकनीक है।
ईश्वर रचयिता है, कोई मैनेजर नहीं है। इंसान को अपने जीवन को खुद मैनेज करने का सौभाग्य मिला है।
अगर आप वाकई सत्य को खोज रहे हैं, तो किसी भी चीज को लेकर धारणा मत बनाइए – बस खोजिए।
पूरी तीव्रता में रहें और साथ ही साथ अपनी सहजता को बनाए रखें – यही योग का आधार है।
भौतिक शरीर की अपनी याद्दाश्त होती है। बिना किसी प्रतिबद्धता के शारीरिक संबंध बनाने से इंसान का सिस्टम अव्यवस्थित हो जाता है,जिससे पूरा समाज अव्यवस्थित होने लगता है।
दुनिया को सुंदर बनाने के लिए हर किस्म के लोगों की जरूरत होती है। आप भी यह कर सकते हैं।
महिलाएं समाज में सही भूमिका निभा सकें, इसके लिए हमें समाज को विकसित करना होगा – किसी कोटा या रिजर्वेशन के ज़रिये नहीं, बल्कि शिक्षा और सशक्तिकरण के ज़रिये।
अगर आप तर्क की जंजीरों में जकड़कर काम करते हैं, तो आप जीवन के सर्कस में एक जोकर बनकर रह जाएंगे।
कर्म का मतलब कार्य और स्मृति दोनों होता है। बिना कार्य के कोई स्मृति नहीं होती और बिना स्मृति के कोई कार्य नहीं होता।
अगर आप अपनी नश्वर प्रकृति के प्रति हमेशा जागरूक रहते हैं, तो आप सिर्फ वही करेंगे जो आपके लिए वाकई मायने रखता है।
सृष्टि के सभी जीवों के रूप में सृष्टिकर्ता प्रकट हो रहा है। अगर आप इच्छुक हैं, तो हर जीव सृष्टिकर्ता तक पहुंचने का द्वार बन सकता है।
मुक्ति कोई मेरा विचार नहीं है; यह हर जीव के अंदर की मूल तड़प है।
हम सभी आत्म-ज्ञानी पैदा होते हैं, पर हम अज्ञानी बने रहने का चुनाव कर लेते हैं।
आप चाहे जो भी करें, उसे आप इच्छापूर्वक कर सकते हैं या अनिच्छा से। अगर आप इच्छा से करते हैं तो जीवन स्वर्ग बन जाएगा। अगर आप अनिच्छा से करेंगे तो वह नर्क समान हो जाएगा।