हठ योग को एक कसरत के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रक्रिया की तरह सिखाया जाना चाहिए; तब ही आसनों को करने से आप परमानंद का अनुभव करेंगे।
प्रेम कोई रिश्ता नहीं है। प्रेम तो भावनाओं की एक तरह की मिठास है।
दुनिया आपके ऊपर क्यां फेंकती है, उसके ऊपर आपका कोई वश नहीं हो सकता है। पर आप उसका कैसे इस्ते माल करते हैं, यह सौ फीसदी आपके वश में होता है। श्री राम इसी के प्रतीक हैं।
योग को बीमारी के इलाज के रूप में इस्तेमाल करना ठीक वैसा ही है जैसे हवाई जहाज को बस की तरह इस्तेमाल करना।
मौन, जीवन और मृत्यु से परे है, यह सृष्टि और सृष्टिकर्ता से भी परे का स्थातन है। मौन का अभ्यास करते करते, आप खुद मौन बन सकते हैं।
कार्य सिर्फ तभी उपयोगी होता है, जब यह लोगों के जीवन को छूता है।
बाहरी दुनिया में लड़ना कोई बहुत बड़े साहस का काम नहीं है, बल्कि अपने भीतर चल रहे संघर्ष से निपटना ही महान साहस का काम है। श्री महावीर इसी के प्रतीक हैं।
अगर आप ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं, जिनसे आपको निपटना नहीं आता, तो वहां बहुत सारी संभावनाएं मौजूद होती हैं। ऐसे मौकों पर आप वास्ततव में जीवन को गहराई में देख सकते हैं।
अगर आप ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं, जिनसे आपको निपटना नहीं आता, तो वहां बहुत सारी संभावनाएं मौजूद होती हैं। ऐसे मौकों पर आप वास्ततव में जीवन को गहराई में देख सकते हैं।
दुख में ही जीवन बहुत लंबा लगता है – आनंद में यह बहुत छोटा लगता है।
हिंदू कोई धर्म नहीं बल्कि एक भौगोलिक पहचान है, या ज्यादा से ज्यादा एक सांस्कृतिक पहचान है। इसमें विश्वास करने वाली ऐसी बातें नहीं बताई गई हैं, जिन्हें हर किसी को मानना जरुरी हो।
साधना करने का मतलब है: ईश्वुर के लिए निमंत्रण बनने की कोशिश करना।
हमें पानी और मिट्टी को, खासकर जंगलों और नदियों को राष्ट्रीय संपदा की तरह देखने की जरूरत है, न कि किसी ऐसी चीज की तरह जिसका हर कोई जैसे चाहे फायदा उठा सकता है।
दुखी रहना खुद के प्रति और मानवता के प्रति एक भयंकर अपराध है। आप जो हैं, वही आप दूसरों के बीच फैलाते हैं।
एक बार जब आप अस्तित्व की चक्रीय और विवश करने वाली प्रकृति से परे चले जाते हैं, तो जीवन शानदार हो जाता है।
एक बार जब आप अस्तित्व की चक्रीय और विवश करने वाली प्रकृति से परे चले जाते हैं, तो जीवन शानदार हो जाता है।