यहां हमारी मौजूदगी बस थोड़े समय के लिए ही है। एक दूसरे से लड़ते हुए हमें इसे और कम नहीं करना चाहिए।
अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो आपको बस अपने बोध और बुद्धि को बढ़ाने की जरूरत है। बाकी सब अपने आप हो जाएगा।
मैं आपकी मंजिल नहीं हूँ, बल्कि एक खुला दरवाजा हूं। उन सभी चीजों का दरवाजा, जिनके आदियोगी प्रतीक हैं – उनके सारे ज्ञान और सारी संभावनाओं का द्वार।
मन एक शक्तिशाली यन्त्र है। कोई भी सचेतन विचार जो एक ही बिंदु पर केन्द्रित है, वो दुनिया में खुद ब खुद साकार होगा।
धरती जीवन का आधार है। थोड़े समय के लिए मिट्टी, पौधों, या पेड़ों को छूने व संपर्क बनाने से शरीर के अन्दर तालमेल आ जाता है।
प्रेम और नफरत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। किसी भी पल, ये भावनाएं पलट सकती हैं – प्रेम नफरत बन सकता है, और नफरत प्रेम।
अपने जीवन का पूरी तरह से इस्तेमाल न करना ही वो सबसे बुरी चीज़ है जो आपके साथ हो सकती है। आपकी जो भी क्षमताएं हैं, उन्हें आप उनके चरम तक इस्तेमाल कीजिए, यहाँ तक कि उससे भी थोड़ा आगे तक ले जाइये।
अगर आपको स्वस्थ और खुशहाल बनना है, तो सबसे पहले आपको अपने शारीर के अन्दर की गतिविधियों पर ध्यान देना होगा।
हमें नई आर्थिक व्यवस्थाओं को खोजने की जरूरत नहीं है। हमें उन लोगों को रूपांतरित करना होगा जो इन्हें चलाते हैं।
सोम या नशा चंद्रमा की प्रकृति है। पूर्णिमा की रात में, चांदनी की कृपा में खुद को डुबोएं, और जीवन की पूर्णता में मदमस्त हो जाएँ।
आज के दिन, गौतम बुद्ध को आत्म-ज्ञान प्राप्त हुआ था। अगर आप इसे अपने जीवन में सबसे अधिक प्राथमिकता देते हैं, तो आपको अपनी परम प्रकृति का एहसास एक पल में हो जाएगा।
मानव को संसाधन (ह्यूमन रिसोर्स) मानना अपराध है। मानव एक संभावना है, जिसे खिलने के लिए पोषण की जरुरत होती है।
एक बार जब आप अपने और अपने शरीर के बीच, अपने और अपने मन के बीच एक दूरी पैदा कर लेते हैं, तो वहीँ पीड़ा का अंत हो जाता है।
हमें दुनिया में वही करना चाहिए जो अभी इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी है।
मन एक पागलपन है। जब आप मन के परे चले जाते हैं, सिर्फ तभी ध्यान घटित होगा।