एक विशुद्ध आध्यात्मिक प्रक्रिया और आध्यात्मिक मनोरंजन में फर्क होता है। मैने तय कर लिया है कि मैं मनोरंजन के बिज़नस में नहीं उतरूंगा।
आपको कोई चीज कितनी भी प्रिय क्यों न हो, वह आपका अपना शरीर और जीवन ही क्यों न हो, जब वक्त आए, तब आपको यह पता होना चाहिए कि उसे सुंदर ढंग से कैसे विदा करना है।
आपको कोई चीज कितनी भी प्रिय क्यों न हो, वह आपका अपना शरीर और जीवन ही क्यों न हो, जब वक्त आए, तब आपको यह पता होना चाहिए कि उसे सुंदर ढंग से कैसे विदा करना है।
कोई नहीं चाहता कि कोई दूसरा उसे संभाले। पर हर कोई यह चाहता है कि उसे इन्क्लूड या शामिल किया जाय।
इंसान बहुत सारी चीजें डिज़ाइन कर सकता है। लेकिन अगर आप अपने ही जीवन के डिज़ाइनर बन जाते हैं, तो वो डिज़ाइन का सबसे महानतम रूप होगा।
स्थिर होकर बैठने के लिए सिर्फ अपने शरीर पर काम करना काफी नहीं है। आपको अपने मन, भावनाओं और ऊर्जा को भी ठीक करना होगा।
आप कुछ करते हैं या किसी को कुछ देते हैं – इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उसे वाकई प्रेमपूर्ण हृदय से करते हैं।
न किसी को पसंद करना है, ना ही किसी को नापसंद करना है – बस उनके साथ रहना है।
अगर आपका लक्ष्य परम मुक्ति है, तो आपकी हर सांस, हर कदम, और दिल की हर धड़कन को सचेतन घटित होना चाहिए।
कई लोगों का यह सपना होता है कि प्रेम में कोई शर्त नहीं होनी चाहिए। पर ऐसा नहीं है – हर रिश्ते में शर्तें होती हैं।
अगर आपको अपने आसपास के लोगों की परवाह है, तो आपको अपनी और अपने आसपास की हर चीज को सुंदर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
मन एक दर्पण की तरह है। अवतल दर्पण बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। उत्तल दर्पण छोटा करके दिखाता है। एक समतल दर्पण आपको जीवन वैसा ही दिखाता है, जैसा वह है।
अगर आपका आंतरिक विकास होता है, तो घमंड नहीं होगा, कोई पूर्वाग्रह नहीं रहेगा। आप स्पष्ट और पूर्ण समझदारी से कार्य करेंगे।
अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त कर लेने जैसी कोई चीज नहीं होती। एक मनुष्य के तौर पर आपके अन्दर असीम संभावनाएं हैं।
जब आप अपने अतीत को अपने वर्तमान के अनुभव तय करने देते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने अपना भविष्य नष्ट कर दिया है।