महात्मा मतलब महान आत्मा। कोई महान तभी बनता है, जब वो शरीर, मन, परिवार, संस्कृति की सीमाओं से ऊपर उठ जाता है, और इन सभी पहचानों से परे सिर्फ जीवन के रूप में काम करता है। इससे ही यह तय होता है कि आप बस एक जीव हैं, या वाकई में एक मनुष्य बन गए हैं।
आप एक सम्पूर्ण जीवन सिर्फ तभी जी सकते हैं, जब आप अपने अंतरतम के संपर्क में होते हैं।
आत्म-ज्ञान का संबंध प्रकाश से नहीं है, इसका संबंध उस दृष्टि से है, जो प्रकाश और अंधकार से परे होती है।
विज्ञान सृष्टि के दोहन के लिए नहीं है, इसे तो बस ज्ञान की तलाश व खोज करनी चाहिये।
नकारात्मक रिश्तों को कम न समझें। जिनसे आप घृणा करते हैं, डरते हैं, या ईर्ष्याम करते हैं, उनके साथ आपका बंधन बहुत गहरा होता है।
मूर्ख वो चीजें करते हैं, जो उनको नापसंद हैं। बुद्धिमान वो करते हैं, जो उन्हें अच्छा लगता है। जीनियस उन चीजों को खुशी-खुशी करना सीख लेते हैं, जिनको करने की जरूरत होती है।
किसी का भी शरीर या मन परफेक्ट नहीं होता। इस मायने में, हम सभी किसी न किसी तरह से अपंग हैं। पर शारीरिक और मानसिक आयामों से परे, सभी जीव बिलकुल एक जैसे हैं।
जब आपको यह स्पष्ट हो जाता है कि आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं, तब दूसरों की राय मायने नहीं रखती।
आपको खुद को ऐसा बनाना चाहिए कि जब आपके जीवन में सही अवसर आएं, तब आपका शरीर और मन आपके लिए अड़चन पैदा न करें।
आप अपने जीवन में चाहे जो भी कीजिए, उसे अच्छे से कीजिए।
आपके भीतर यह आजादी होनी चाहिएः ‘अगर मैं नरक में भी चला गया, तब भी मैं अच्छे से जियूँगा।’
इंसान महत्वपूर्ण है – हमें अपनी इस सोच को बदलना होगा। इस धरती पर हम जीवन का बस एक और रूप हैं।
जो दूसरे कर रहे हैं, आपको भी वही करने की जरूरत नहीं है। आप वो कीजिए जो आपके लिए वाकई मायने रखता है।
इंसान के मन में जो चल रहा है, वही दुनिया में लड़ाई-झगड़ा के रूप में प्रकट हो रहा है। इंसान के मन में सहजता लाकर ही हम शांति की शक्ति को जाने पाएंगे।
जब आप सबसे ऊंचे स्तर पर काम करना सीख लेते हैं, तो सब कुछ एक खेल बन जाता है।