जीसस ने कहा था – ‘ईश्वर का साम्राज्य आपके अन्दर है’। योग, अपने ‘अन्दर’ को अनुभव करने का एक तरीका है।
ऊर्जा तभी उपयोगी है, जब आप उसे जिस दिशा में चाहें, उस दिशा में भेज सकें। जब ऐसा होता है, तभी कोई इंसान आध्यात्मिक संभावना में रूपांतरित होता है।
मेरा काम आपको दिलासा देना नहीं है। मैं आपको जागृत करने के लिए हूं।
जब आप जीवन में अपने आनंद को व्यक्त करने लगते हैं, तब आपका किसी से टकराव नहीं होता।
आप भारतीय मंदिरों में सिर्फ एक ऊर्जा स्वरुप के दर्शन करने के लिए जाते हैं। आप चैतन्य की छाप को अपने भीतर लेना चाहते हैं।
अगर आप कठिन परिस्थितियों से भी गरिमापूर्ण तरीके से गुज़र सकें, तो आपके सामने आने वाली हर परिस्थिति आपके जीवन को बेहतर बनाने का अवसर बन जाएगी।
सीखने का संबंध पैसा कमाने से नहीं है, बल्कि यह फूलने व खिलने का एक तरीका है।
सचेतन होकर काम करने से कर्म नहीं बनते, पर प्रतिक्रिया करने से बनते हैं।
सचेतन होकर काम करने से कर्म नहीं बनते, पर प्रतिक्रिया करने से बनते हैं।
पिछले नियमों को तोड़ने की, या फिर चीजों को वैसे ही करने की जैसे वे होती आ रहीं हैं – इनमें से कोई भी आपके लिए विवशता नहीं होनी चाहिए।
आनंद सहज है। दुःख आप पैदा करते हैं।
आशावादी भ्रम में जीते हैं। निराशावादी मायूस हो जाते हैं। दोनों ही कहीं नहीं पहुँचते। आपको हर चीज़ को उसी तरह से देखने के लिए तैयार रहना चाहिए, जैसी वो वाकई में है।
स्त्री प्रकृति इच्छुक होने का चरम है। बिना इच्छुक हुए, इस दुनिया में कोई प्रेम नहीं होगा, किसी चीज़ की कोई परवाह नहीं होगी, दुनिया में कुछ भी कोमल व सौम्य नहीं होगा।
अगर आप पाना चाहते हैं, तो आपको देना होगा। यह बाजार का नियम नहीं है। जीवन का यही तरीका है।
इंसान एक बीज की तरह होता है। आप या तो इसे ज्यों का त्यों रख सकते हैं, या फिर आप इसको फूलों और फलों से लदे एक शानदार पेड़ में विकसित कर सकते हैं।