संक्रांति या पोंगल उन सभी चीजों का उत्सव है, जो हमारे जीवन को बनाते हैं – धरती, पशु, हवा, पानी और लोग। आइए इसका आनंद लें!
परम आभार का एक पल आपके पूरे जीवन को रूपांतरित कर सकता है।
दुनिया में ज्यादातर लोग, असल में व्यस्त नहीं हैं – वे बस चिंता में खोए रहते हैं, और यही चीज़ थकाने वाली होती है।
अपने घर, अपने मन, अपनी भावनाओं की सारी बेकार की चीजों को साफ करने और एक नई शुरुआत करने का आज एक आदर्श दिन है।
युवाओं में सत्य के प्रति एक स्वाभाविक आकर्षण होता है। सत्य का मतलब है कि जो सभी स्तरों पर वाकई में कारगर सिद्ध हो।
अगर आप अपने शरीर, मन, और भावनाओं में खुलापन लाते हैं, तो आपका जीवन काफी अच्छा हो जाएगा। अगर आप अपनी ऊर्जा-प्रणाली में खुलापन लाते हैं, तो जीवन जादुई हो जाएगा।
लोग अच्छे और बुरे नहीं होते। हर कोई इन दो के बीच झूलता रहता है। लेकिन लोग बुद्धिमान और मूर्ख अवश्य होते हैं।
ईमानदारी व चरित्र, सिर्फ इस बात से तय नहीं होता कि आप दूसरों के सामने कैसा बर्ताव करते हैं। आप भीतर से कैसे हैं, इसी से आपकी ईमानदारी व चरित्र तय होता है।
मैं दुनियावी दौलत में विश्वास नहीं करता। मेरी दौलत लोगों के दिलों में है।
चेतना भौतिक नहीं है। जो भौतिक नहीं है, स्वाभाविक रूप से वह ‘एक’ है।
अध्यात्म की बातें करने या दिखावा करने से कोई फायदा नहीं होता। अध्यात्म तो खुद को रूपांतरित करने के लिए है।
अर्थव्यवस्था को स्वस्थ रखने के लिए हम इंसानों के स्वास्थ्य से समझौता कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम चेतना को अपने जीवन का मार्गदर्शन करने दें।
जब आप सचमुच प्रसन्न होते हैं, सिर्फ तभी आप सही मायनों में दूसरे लोगों तक पहुँच सकते हैं या मदद कर सकते हैं।
जो आपको अच्छा लगता है, अगर आप उसे 100 फीसदी भागीदारी के साथ करते हैं, तो जो आपको अच्छा नहीं लगता, उसे आपको 200 फीसदी भागीदारी के साथ करना चाहिए। अपनी सीमाएं तोड़ने का यही तरीका है।
मेरी कामना है कि आप जीवन से अभिभूत हो जाएं। जीवन एक अद्भुत घटना है, यह एक ही साथ सृष्टि भी है और स्रष्टा भी!