सवाल यह नहीं है कि आप कितना कुछ करते हैं। सवाल सिर्फ ये है कि क्या आप पूरी तरह से समर्पित हैं। क्या आपका जीवन पूरे प्रवाह में है?
इस देश में 40 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो दिन में एक बार भी भरपेट खाना नहीं खा पाते। जब ऐसी हालत है, तो देश के कल्याण के खिलाफ काम करने वाले स्वार्थी लोगों के लिए कहीं भी कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
जब आप हर किसी के लिए जीते हैं, तो हर कोई आपका ख्याल रखता है।
आप किसी हालात को कैसे संभालते हैं, यह पूरी तरह से आपका चुनाव नहीं होता। लेकिन आप खुद को कैसे संभालते हैं, यह पूरी तरह से आप के ऊपर होता है।
ध्यान कोई कार्य नहीं है – यह एक गुण है।
अगर आप बस दूसरों से आगे होने को सफलता मानते हैं, तो ये तय है कि आप अपनी पूर्ण क्षमता को नहीं खोज पाएंगे।
पुराने समय में, सत्ता परिवर्तन बिना खून-खराबे के कभी नहीं होता था। लोकतंत्र इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिना एक भी बूँद खून बहाए हम सत्ता बदल देते हैं। अगर हम सामंतवादी मानसिकता अपनाएंगे, तो सत्ता परिवर्तन के नाम पर एक बार फिर से खून बहेगा।
लोकतंत्र का मतलब है, हर पांच साल में आपको ये आकलन करने का मौका मिलता है कि क्या सरकार ने कुछ अच्छा काम किया है। अगर उन्होंने नहीं किया, तो उनको वोट मत दीजिये। लेकिन एक बार जब आप सरकार चुन लेते हैं, तो सरकार को समर्थन देना और देश के लिए हम जो भी बेहतरीन कर सकते हैं वो करना, हमारा मौलिक उत्तरदायित्व बन जाता है।
व्यवहार या रवैये में बदलाव लाना आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं है। आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब है आपके सोचने, महसूस करने और जीवन को अनुभव करने के तरीके, मूल रूप में बदल गए हैं।
जल, जीवन का निर्माण करने वाला तत्व है। जल संसाधनों को बचाना, जीवन को बचाना है।
जंगल, नदियां और पहाड़, ऐसे जीवन हैं जो हमसे बेहद विशाल हैं, और कई तरह से हमारे जीवन का स्रोत और उसका पोषण करने वाले हैं। उनको कायम रखने के लिए हमें अपने हर काम में कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है।
चरित्र व निष्ठा का संबंध सबको शामिल करने से है। ये नैतिकता या नियमों की सूची नहीं है, बल्कि इसका संबंध अपने आस-पास के हर जीव के प्रति संवेदनशील होना है।
रंग, दृष्टि के लिए सुगंध की तरह होते हैं। रंगों का सही मेल उन्नति में सहायक हो सकता है।
अगर कोई ये मानता है कि चुनी गई सरकार देश के खिलाफ काम कर रही है, तो ऐसी चीजों को रोकने के लिए हमारे संविधान बनाने वालों ने काफी साधन प्रदान किए हैं। ऐसे मुद्दों को संबोधित करने के कई रास्ते हैं। अपशब्दों व कड़वे शब्दों का प्रयोग करना इसका समाधान नहीं है।
विज्ञान और योग विद्या दो ऐसी रेखाएं हैं, जो एक बिंदु पर मिलती हैं। जब मानवता मंन अवाश्यक बुद्धि पैदा होती है, तो ये दोनों मिलकर एक हो जाती हैं।