कोई भी चीज़ ऐसी नहीं होनी चाहिए, कि उसका इस्तेमाल करके उसे फेंक दिया जाता हो। इसका संबंध सिर्फ संसाधनों को बचाने से नहीं है। ये पूरी सृष्टि के प्रति एक ख़ास आदर रखने से संबंधित है।
अपने भीतर नये आयामों को जगाने की संभावना ही ध्यान है।
समय हम सभी के लिए एक ही गति से खिसकता जा रहा है। आप समय के बारे में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन आप अपनी ऊर्जा की देखभाल कर सकते हैं।
मेरी रुचि सिर्फ जीवन में है। वो चाहे जिस भी रूप में हो और जहां भी हो, मैं हर हाल में उसमें शामिल होता हूं।
किसी ख़ास काबिलियत की वजह से मातृत्व सुन्दर नहीं है, शामिल करने की इच्छा का होना ही इसे सुन्दर बनाता है।
अगर हम चाहते हैं कि मानवता विज्ञान और तकनीक के उपहारों का आनंद ले, न कि पूरी धरती को नष्ट करने के लिए उनका इस्तेमाल करे, तो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो तुरंत करने की जरूरत है, वो है मानव चेतना को ऊंचा उठाना।
दुनिया में जो हो रहा है, अगर वो आपके मन मुताबिक नहीं हो रहा है, तो आपके भीतर जो हो रहा है, कम से कम उसे तो आपके मन मुताबिक होना चाहिए।
अगर आप यह नहीं जानते कि क्या चुनें, तो आप हर चीज में संपूर्ण भागीदारी दिखाइए। तब जीवन चुन लेगा, और यह कभी गलत नहीं होता।
भक्ति का संबंध आपसे है। आप प्रेरणा के रूप में किसी का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन आप खुद में बदलाव लाकर मिठास का एक गहरा भाव स्थापित करते हैं।
सत्य का मतलब है ‘वह जो है’। ‘वह जो है’ के साथ तालमेल बनाने के लिए आपको बस ‘होने’ की जरुरत है।
यहां कुछ भी संयोग से नहीं हो रहा है। पूरा भौतिक अस्तित्व कारण और परिणाम के बीच घटित हो रहा है।
जो इंसान हँस नहीं सकता, ध्यान भी नहीं कर सकता। हंसी, एक तरह से आपकी ऊर्जा का उमड़ना है।
बिना किसी शारीरिक गतिविधि के आपकी ऊर्जा का शिखर तक उमड़ना ही ध्यान है।
अस्तित्व में होना ही अस्तित्व का मकसद है। ये इतना शानदार है कि इसका कोई अर्थ निकालकर सीमित नहीं किया जा सकता।
आदियोगी एक प्रतीक हैं, एक संभावना हैं, और खुद को रूपांतरित करने और अपना भाग्य खुद बनाने के साधनों के मूल दाता हैं।