आपको अपनी शादी को सफल बनाने के लिए जिस चीज़ की जरूरत है वो एक परफेक्ट इंसान नहीं है। आपको जिस चीज़ की जरूरत है वो है संपूर्ण ईमानदारी।
जीवन एक प्रक्रिया है, न कि समस्या। सवाल सिर्फ ये है कि आपने खुद को इस प्रक्रिया के लिए तैयार किया है या नहीं।
जीवन में सही या गलत जैसी कोई चीज़ नहीं होती। सवाल ये है कि क्या आपके कार्य उचित हैं और क्या आपके कार्य की प्रकृति समावेशी है।
आध्यात्मिक प्रक्रिया की समावेशी प्रकृति और हरा-भरा पर्यावरण – इनको अलग नहीं किया जा सकता।
आज स्वास्थ्य की कोई संस्कृति ही नहीं रह गई है – आजकल सिर्फ डॉक्टरी चिकित्सा है। स्वास्थ्य की संस्कृति को वापस लाना हर इंसान और देश के लिए पहला लक्ष्य होना चाहिए।
जो भी व्यक्ति अपनी साधना तीव्रता के साथ करता है, वो ये देखेगा कि समय के साथ जैसे-जैसे ऊर्जा ऊपर उठती है, शरीर के साथ उसकी पहचान कम होने लगती है।
आपको इस पर गौर करना चाहिए कि आप काम से छुट्टी क्यों चाहते हैं। अगर आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसकी आप वाकई परवाह करते हैं, तो क्या आप छुट्टी लेना चाहेंगे?
जीवन की प्रकृति ऐसी है कि अगर आप इसको सुलझा कर रखते हैं और इसे प्रवाहित होने देते हैं, तो जीवन एक सुंदर अनुभव बन जाता है। अगर आप इसे रोकते हैं, तो यह कष्टदायक बन जाता है।
सिर्फ वही व्यक्ति वाकई सुरक्षित है, जिसको सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं रह जाती।
अगर जीवन में, आपका जीवन और आपका जीवित होना ही सबसे महत्वपूर्ण चीज है, और अगर आप सुबह जाग जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप अब भी जीवित हैं – क्या इस बात से आपके चेहरे पर कम से कम एक शानदार मुस्कुराहट नहीं आनी चाहिए!
ज्यादातर इंसान एक ऐसे पिंजड़े की चिड़िया की तरह जीवन जीते हैं, जिसका दरवाज़ा टूट चुका है। लेकिन वे अपनी परम संभावना के आकाश में उड़ान भरने के बजाय पिंजड़े पर सोने की परत चढ़ाने में व्यस्त रहते हैं।
अगर हम दूसरों के प्रति घृणा और हिंसा पालते हैं, तो एक दिन, ये हमारे पास वापस लौट आएगी।
हम जो भी कर रहे हैं, उसमें खुद को पूरी तरह से समर्पित किए बिना, जीवन के किसी भी क्षेत्र में, किसी ने वाकई में कुछ महत्वपूर्ण हासिल नहीं किया है।
सत्य के साधक को निष्कर्ष के सुख का आनंद नहीं लेना चाहिए। उसमें सिर्फ तीव्रता और खोजने की ललक होनी चाहिए।
योग कोई शांत करने वाली औषधि नहीं है, बल्कि स्फूर्ति भर देने वाली शक्ति है।