(21) बुद्ध की मृत्यु 80 साल की उम्र में कुशीनारा में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गई. जिसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है.
(22) मल्लों ने बेहद सम्मान पूर्वक बुद्ध का अंत्येष्टि संस्कार किया.
(23) एक अनुश्रुति के अनुसार मृत्यु के बाद बुद्ध के शरीर के अवशेषों को आठ भागों में बांटकर उन पर आठ स्तूपों का निर्माण कराया गया.
(24) बुद्ध के जन्म और मृत्यु की तिथि को चीनी पंरपरा के कैंटोन अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है.
(25) बौद्ध धर्म के बारे में हमें विशद ज्ञान पालि त्रिपिटक से प्राप्त होता है.
(26) बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी है और इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है.
(27) बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है.
(28) तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है.
(29) बुद्ध के अनुयायी दो भागों मे विभाजित थे:
(i)भिक्षुक- बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन लोगों ने संयास लिया उन्हें भिक्षुक कहा जाता है. (ii) उपासक– गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वालों को उपासक कहते हैं. इनकी न्यूनत्तम आयु 15 साल है.
(30) बौद्धसंघ में प्रविष्ट होने को उपसंपदा कहा जाता है.
(31) प्रविष्ठ बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं- (i) बुद्ध (ii) धम्म (iii) संघ
(32) चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया: (i) हीनयान (ii) महायान
(33) धार्मिक जुलूस सबसे पहले बौद्ध धर्म में ही निकाला गया था.
(34) बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र त्यौहार वैशाख पूर्णिमा है जिसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है.
(35) बुद्ध ने सांसारिक दुखों के संबंध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया है. ये हैं (i) दुख (ii) दुख समुदाय (iii) दुख निरोध (iv) दुख निरोधगामिनी प्रतिपदा
(36) सांसारिक दुखों से मुक्ति के लिए बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग की बात कही. ये साधन हैं. (i) सम्यक दृष्टि (ii) सम्यक संकल्प (iii) सम्यक वाणी (iv) सम्यक कर्मांत (v) सम्यक आजीव (vi) सम्यक व्यायाम (vii) सम्यक स्मृति (viii) सम्यक समाधि
(37) बुद्ध के अनुसार अष्टांगिक मार्गों के पालन करने के उपरांत मनुष्य की भव तृष्णा नष्ट हो जाती है और उसे निर्वाण प्राप्त होता है.
(38) बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति के लिए 10 चीजों पर जोर दिया है: (i) अहिंसा (ii) सत्य (iii) चोरी न करना (iv) किसी भी प्रकार की संपत्ति न रखना (v) शराब का सेवन न करना (vi) असमय भोजन करना (vii) सुखद बिस्तर पर न सोना (viii) धन संचय न करना (ix) महिलाओं से दूर रहना (X) नृत्य गान आदि से दूर रहना.
(39) बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया.
(40) अनीश्वरवाद के संबंध में बौद्धधर्म और जैन धर्म में समानता है.
(41) जातक कथाएं प्रदर्शित करती हैं कि बोधिसत्व का अवतार मनुष्य रूप में भी हो सकता है और पशुओं के रूप में भी.
(42) बोधिसत्व के रूप में पुनर्जन्मों की दीर्घ श्रृंखला के अंतर्गत बुद्ध ने शाक् मुनि के रूप में अपना अंतिम जन्म प्राप्त किया.
(43) सर्वाधिक बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण गंधार शैली के अंतर्गत किया गया था. लेकिन बुद्ध की प्रथम मूर्ति मथुरा कला के अंतर्गत बनी थी.