“महात्मा बुद्धा जंगल से होकर जा रहें थे की किसी ने आवाज़ दी, ‘ऐ ! रुक जा।’ गौतम बद्ध रुके और पीछे देखने लगें तभी उन्हें एक वृक्ष की ओट से एक लुटेरा निकलकर उनके सामने आया। उस लुटेरे को देख-कर बुध्द बोले, ‘अरे में तो रुक गया लेकिन तू कब रुकेगा ?’ लुटेरा बोला, ‘तू कहना क्या चाहता है ?’ बुद्धा बोले, ‘यही की में तो ज्ञान प्राप्त कर सांसारिक बंधनो से मुक्त हो गया हूँ। लेकिन तू यह लूटपाट कब बंद करेगा ?’ बद्ध की यह बात उस लुटेरे पर जादू-सा कर गई। उसके बाद से उसने लूटपाट बंद कर बुध्द का शिष्यत्व ग्रहण कर लिया।” Related