“बहुत पुरानी बात है मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे। और सुबह होने से पहले कोई कोई भी घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था। इसका कारण डाकू अंगुलीमाल था।
डाकू अंगुलीमाल मगध के जंगलों की गुफा में रहता था। वह लोगों को लूटता था और जान से भी मार देता था। लोगों को डराने के लिए वह जिसे भी मारता उसकी एक ऊँगली काट लेता और उन उँगलियों की माला बनाकर पहनता। इसलिए उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा। गाँव के सभी लोग परेशान थे कैसे इस डाकू के आतंक से छुटकारा मिले।
एक दिन गौतम बुद्ध उस गाँव में आये। गाँव के लोग उनकी आवभगत करने लगे। गौतम बुद्ध ने देखा कि गाँव के लोगों में किसी बात को लेकर देहशत फैली है!
तब गौतम बुद्ध ने गाँव वालों से इसका कारण पूछा- ये सुनते ही गाँव वालों ने अंगुलिमाल के आतंक का पूरा किस्सा उन्हें सुनाया।
अगले ही दिन गौतम बुद्ध जंगल की तरफ निकल गये, गाँव वालों ने उन्हें बहुत रोका पर वो नहीं माने। बुद्ध को आते देख अंगुलिमाल हाथों में तलवार लेकर खड़ा हो गया, पर बुद्ध उसकी गुफा के सामने से निकल गए उन्होंने पलटकर भी नहीं देखा। अंगुलिमाल उनके पीछे दौड़ा, पर दिव्य प्रभाव के कारण वो बुद्ध को पकड़ नहीं पा रहा था।
थक हार कर उसने कहा- ‘रुको’
बुद्ध रुक गए और मुस्कुराकर बोले- मैं तो कबका रुक गया पर तुम कब ये हिंसा रोकोगे।
अंगुलिमाल ने कहा- सन्यासी तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता। सारा मगध मुझसे डरता है। तुम्हारे पास जो भी माल है निकाल दो वरना, जान से हाथ धो बैठोगे। मैं इस राज्य का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हूँ।
बुद्ध जरा भी नहीं घबराये और बोले- मैं ये कैसे मान लूँ कि तुम ही इस राज्य के सबसे शक्तिशाली इन्सान हो। तुम्हे ये साबित करके दिखाना होगा।
अंगुलिमाल बोला बताओ- ‘कैसे साबित करना होगा?’
बुद्ध ने कहा- ‘तुम उस पेड़ से दस पत्तियां तोड़ कर लाओ।’