आखिर ओशो क्यों कहते थे भगवान मर चुका है

ओशो अक्सर अपने प्रवचन में कहा करते थे “गॉड इज डेड” यानी भगवान मर चुका है। ओशो से पहले महान दार्शनिक नित्से भी यही कहा करते थे। ओशो ने नित्से के इस कथन को अपने जीवन में उतार लिया था और लोगों को नित्से का यह संदेश सुनाते थे।
दिल्ली स्थित ओशो आश्रम की मां प्रेम नैना बताती हैं कि, ओशो का ऐसा कहना किसी की धार्मिक भावना को आहत पहुंचाने के लिए नहीं था। ओशो का मानना था कि भगवान नाम की चीज का कोई अस्तित्व नहीं है।
हम मनुष्यों में से जो कोई भी व्यक्ति आगे बढ़कर संबोधि को प्राप्ति कर लेता है, यानी बुद्घत्व को प्राप्त कर लेता है वह भगवान बन सकता है। क्योंकि वह सृष्टि को जान चुका होता है ब्रह्माण्ड को समझ चुका होता है।
वास्तव में संपूर्ण सृष्टि ही ईश्वर है, सृष्टि से अलग भगवान का कोई दूसरा अस्तित्व और स्वरूप नहीं। वैदिक धर्म में जिसे शिव, विष्णु, राम, कृष्ण कहा गया है यह भी बुद्घ हैं इन्होंने संबोधि को प्राप्त किया था। ईसा मसीह और महात्मा बुद्घ भी संबोधि प्राप्त कर चुके थे इसलिए यह भगवान कहलाते हैं।
इन्होंने अपने अनुयायियों से कहा कि मैंने भी संबोधि प्राप्त कर लिया है इसलिए मैं भगवान हूं और आप सब भी भगवान बन सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *