धम्मं शरणं गच्छामि : मैं धर्म की शरण लेता हूं।

धर्मचक्र प्रवर्तन : बोधी प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ गौतम बुद्ध कहलाने लगे। ज्ञान उपलब्ध होने के बाद वे सारनाथ पहुंचे। वहीं पर उन्होंने लोगों को मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। दुःख के कारण बताए और दुःख से छुटकारा पाने के लिए आष्टांगिक मार्ग बताया। तरह-तरह के देवता, यज्ञ, पशुबलि और व्यर्थ के पूजा-पाठ की निंदा की। अहिंसा पर जोर दिया।
80 वर्ष की उम्र तक गौतम बुद्ध ने जीवन और धर्म के प्रत्येक पहलू पर प्रवचन दिए और लोगों को दीक्षा देकर ‍बुद्ध शिक्षा के लिए प्रचार पर भेजा। सुद्धोधन और राहुल ने भी उनसे दीक्षा ली।
बुद्ध दर्शन के मुख्‍य तत्व : चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं।
बुद्ध के गुरु : गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि।
बुद्ध के प्रमुख दस शिष्य : आनंद, अनिरुद्ध (अनुरुद्धा), महाकश्यप, रानी खेमा (महिला), महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, और उपाली (नाई) आदि।
धर्म के प्रमुख प्रचारक : अंगुलिमाल, मिलिंद (यूनानी सम्राट), सम्राट अशोक, ह्वेन त्सांग, फा श्येन, ई जिंग, हे चो आदि।
प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु :

भारतीय : विमल मित्र, बोधिसत्व, वैंदा (स्त्री), उपगुप्त (अशोक के गुरु), वज्रबोधि, अश्वघोष, नागार्जुन, चंद्रकीर्ति, मैत्रेयनाथ, आर्य असंग, वसुबंधु, स्थिरमति, दिग्नाग, धर्मकीर्ति, शांतरक्षित, कमलशील, सौत्रांत्रिक, आम्रपाली, संघमित्रा आदि।
विदेशी : चीनी भिक्षु व्हेन सांग (ह्वेन त्सांग), फा श्येन, ई जिंग, कोरियायी भिक्षु हे चो आदि।
महापरिनिर्वाण : वैशाखी पूर्णिमा के दिन (जन्म और बोधी प्राप्ति वाले दिन ही) ईसा से 483 वर्ष पहले भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। अर्थात देह छोड़ दी। देह छोड़ने के पूर्व उनके अंतिम वचन थे ‘अप्प दिपो भव:…सम्मासती। अपने दीये खुद बनो…स्मरण करो कि तुम भी एक बुद्ध हो।
धर्मग्रंथ : शोध बताते हैं कि दुनिया में सर्वाधिक प्रवचन बुद्ध के ही रहे हैं। 35 की उम्र के बाद बुद्ध ने जीवन के प्रत्येक विषय और धर्म के प्रत्येक रहस्य पर जो कुछ भी कहा वह त्रिपिटक में संकलित है। त्रिपिटक अर्थात तीन पिटक- विनय पिटक, सुत्त पिटक और अभिधम्म पिटक। सुत्तपिटक के खुद्दक निकाय के एक अंश धम्मपद को पढ़ने का ज्यादा प्रचलन है। इसके अलावा बौद्ध जातक कथाएं विश्व प्रसिद्ध हैं।

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