हमारे मन की प्रकृति कुछ ऐसी है कि हम अगर किसी प्रभावशाली व्यक्तित्व को देख लें तो हम खुद को भी वैसा बनाना चाहते हैं। ऐसा करने पर हम अपने खुद के गुणों को विकसित नहीं कर पाते, और साथ ही अपनी सहजता भी खो देते हैं, क्या है हमेशा सहज रहने का तरीका…?
लोग हमेशा सोचते हैं कि उनका एक रोल-मॉडल होना चाहिए। रोल-मॉडल रखने का अर्थ है कि आप कुछ और बनने की कोशिश कर रहे हैं, जो आप नहीं हैं। इस कोशिश में इंसान के स्वाभाविक गुण खो जाते हैं। वह अपने से अलग कुछ और बनने की जी-तोड़ कोशिश में लगा रहता है। इससे वह सहज होने की सारी काबिलियत खो देता है।
आप खुद की असलियत को नहीं जान पाते क्योंकि आप किसी के काम की नकल करना चाहते हैं। बचपन से ही आपको किसी न किसी की नकल करने के लिए कहा गया है। आपके अपने रोल-मॉडल होने से आपमें बहुत ज्यादा नकल समा गई है। नकल करने में बहुत ज्यादा हिसाब लगाना पड़ता है। अगर आप किसी की नकल करना चाहते हैं, तो आप कभी भी पूरी तरह किसी की नकल नहीं कर सकते।
आप अपनी नकल में हमेशा सुधार लाना चाहते हैं। तो एक बार जब यह कोशिश आपके अंदर बैठ जाती है, फिर आप सहज नहीं रह पाते।
आम तौर पर, लोग मुझसे अक्सर एक सवाल पूछते हैं, खास तौर पर पुरानी पीढ़ी के लोग, जो आध्यात्मिक होने की जी-तोड़ कोशिश में लगे हैं। वे सभी गीता के प्रवचनों में जा चुके हैं; उन्होंने वेदान्त सुना है; उन्होंने बहुत कुछ सुन रखा है। वे ऐसा मानते हैं कि ये सारी बातें वे कृष्ण से भी बेहतर जानते हैं। लेकिन जब वे यहां आते हैं, आसपास नजर घुमा कर देखते हैं, तो कुछ देर बाद उन्हें एहसास होता है कि ये जवान लोग जिन्हें आध्यात्मिकता के बारे में कुछ भी नहीं मालूम, परमानन्द में झूम रहे हैं, लेकिन हम, जो इतना जानते हैं, बस यूं ही बैठे हैं, हमें कुछ क्यों नहीं हो रहा? यही तो सारी समस्या है; आप जो हैं, उससे अलग, कुछ और बनने की कोशिश करते हैं और इससे आप जो हैं, वो पूरी तरह नष्ट हो जाता है।
सहज होने का एक आसान तरीका है कि आप ये हिसाब लगाना छोड़ दें, ‘मुझे इससे क्या हासिल हो सकता है?’ जब आप कुछ होने या बनने की कोशिश नहीं कर रहे होते, जब आप कुछ हासिल करने की कोशिश नहीं कर रहे होते, तब आप सहज होते हैं और तभी आप ग्रहणशील बन सकते हैं और आपके साथ कुछ अद्भुत घटित हो सकता है।