विजयदशमी: तमसो मा ज्योतिर्गमय

नवरात्रि के दसवें दिन को हम विजयदशमी के नाम से जानते हैं। यह दिन किस विजय की ओर संकेत करता है? और क्या है नवरात्री और विजय दशमी पर मनाये जाने वाले उत्सवों का महत्व? आइये जानते हैं…

आप इन तीनों गुणों से होकर गुजरे, तीनों को देखा, तीनों में भागीदारी की, लेकिन आप इन तीनों में से किसी से भी, किसी भी तरह जुड़े या बंधे नहीं, आपने इन पर विजय पा ली।

नवरात्रि के बाद दशहरा का अंतिम यानी दसवां दिन है – विजयदशमी, जिसका मतलब है कि आपने इन तीनों ही गुणों को जीत लिया है, उन पर विजय पा ली है।

यानी इस दौरान आप किसी भी गुण- तमस,रजस या सत्व, के आगे समर्पित नहीं हुए। आप इन तीनों गुणों से होकर गुजरे, तीनों को देखा, तीनों में भागीदारी की, लेकिन आप इन तीनों में से किसी से भी, किसी भी तरह जुड़े या बंधे नहीं, आपने इन पर विजय पा ली। यही विजयदशमी है – आपकी विजय का दिन।

 

इस तरह से नवरात्रि के नौ दिनों के प्रति या जीवन के हर पहलू के प्रति एक उत्सव और उमंग का नजरिया रखना और उसे उत्सव की तरह मनाना सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आप जीवन में हर चीज को एक उत्सव के रूप में लेंगे तो आप बिना गंभीर हुए जीवन में पूरी तरह शामिल होना सीख जाएंगे। दरअसल ज्यादातर लोगों के साथ दिक्क्त यह है कि जिस चीज को वो बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं उसे लेकर हद से ज्यादा गंभीर हो जाते हैं। अगर उन्हें लगे कि वह चीज महत्वपूर्ण नहीं है तो फिर उसके प्रति बिल्कुल लापरवाह हो जाएंगे- उसमें जरूरी भागीदारी भी नहीं दिखाएंगे। जीवन का रहस्य यही है कि हर चीज को बिना गंभीरता के देखा जाए, लेकिन उसमें पूरी तरह से भाग लिया जाए- बिल्कुल एक खेल की तरह।

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