हम में से कई लोग ऐसे हैं जो अपने भविष्य को जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं और कई तरह की भविष्यवाणियां या अपना राशिफल पढ़ते रहते हैं। क्या भविष्य पहले से’ ही तय होता है, जिसे कि राशिफल पढ़ कर जाना जा सकता है, या फिर भविष्य की रचना हम खुद कर सकते हैं? एक बार एक स्कूली छात्र ने सद्गुरु से भविष्यवाणियों के बारे में जानना चाहा।
आइए हम भी जानते हैं इन भविष्यवाणियों का भविष्य –
छात्र: सद्गुरु, आज दुनिया किस ओर जा रही है ?
सद्गुरु: दुनिया कहीं नहीं जा रही है। बस घूम रही है।
छात्र: कई तरह की भविष्यवाणियां हो रही हैं और ऐसा लिखा भी गया है जिससे दुनिया के उल्टीदिशा में जाने का पता चलता है।
सद्गुरु: इस धरती पर दो तरह के इंसान हैं। पहली श्रेणी उन लोगों की है जिनके पास समझदारी से योजना बनाने और उस पर अमल करने की क्षमता नहीं है। ऐसे लोग अपनी जिंदगी के साथ-साथ समाज और दुनिया की दिशा और दशा को तय करने के लिए भविष्यवाणियों पर यकीन करते हैं। दूसरी श्रेणी उन लोगों की है जिनके पास हर चीज के लिए एक योजना होती है। वे अपनी योजना के मुताबिक खुद तय करते हैं कि अपनी जिंदगी और इस संसार को वे किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। अब सवाल यह है कि आप क्या चाहते हैं? आप भविष्यवाणी चाहते हैं या फिर आपको कोई समझदारीपूर्ण योजना चाहिए?
अगर किसी क्रिकेट मैच से पहले ही कोई शख्स यह बता देता है, कि मैच निश्चित तौर पर भारत ही जीतेगा, तो फिर वह केवल मैच फ़िक्सर ही हो सकता है। हम जीतना चाहते हैं, यह बात अपनी जगह ठीक है; लेकिन हम मैच के परिणाम के बारे में नहीं जानते, इसीलिए यह खेल दिलचस्प है। चूंकि हमें इसका परिणाम नहीं पता, इसलिए हम इसमें जी जान लगाने को तैयार रहते हैं, जो कि बड़ी अच्छी बात है। अब जरा सोचिए – आपको मैच का परिणाम पहले से ही पता है। ऐसे में क्या खेल खेलने का कोई मतलब है? भविष्यवाणी एक तरह की मैच फिक्सिंग ही है, जिसमें हमें पहले ही पता है कि परिणाम क्या होगा। हां, कुछ चीजें तय हैं। अगर आप इन चीजों को गहराई से देखेंगे तो आप जान सकते हैं, कि चीजें किस दिशा में चलेंगी। अगर मैं आपको आम का और नारियल का बीज दूं, तो जाहिर सी बात है कि आम के बीज में आम का पेड़ बनने की सम्भावना है, लेकिन आम का बीज आम का पेड़ बन ही जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। यह गाय का चारा भी बन सकता है, या फिर किसी के घर का फर्नीचर भी।
तो एक चीज है संभावना और दूसरी चीज है वास्तविकता और दोनों के बीच हमेशा ही एक दूरी होती है। क्या आपके अंदर इस दूरी को तय करने का साहस और इच्छा शक्ति है? बस इसी से इंसानी जीवन का निर्माण होता है। कल आप इस दुनिया को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं ? कष्टों की राह पर या सुख संपन्नता के रास्ते पर?
छात्र: सुख संपन्नता के रास्ते पर।
सद्गुरु: अगर हम सभी तय कर लें कि हम दुनिया को सुख और संपन्नता की ओर ले जाना चाहते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि दुनिया के बारे में कैसी – कैसी भविष्यवाणियां की गई हैं। कभी किसी की भविष्यवाणी को मत सुनिए, चाहे वह भविष्यवाणी आपके जीवन के बारे में की गई हो या दुनिया के बारे में। कभी भी अपने हॉरर-स्कोप यानी राशिफल को पढ़ने की चेष्टा ना करें, क्योंकि अगर आपकी जिंदगी में पहले से ही सब कुछ तय हो गया तो वाकई में यह जिंदगी हॉरर यानी डरावनी हो जाएगी। फिर यह जीने लायक नहीं बचेगी। जीने का मजा ही खत्म हो जाएगा। जीवन एक संभावना है, और इस संभावना को वास्तविकता में बदलने के लिए एक खास तरह के साहस और अक्ल की आवश्यकता होती है। यही तो जीवन है।