आपके पास इतना वक्त भी नहीं है कि आप बिना पके केले खरीद सकें। इसके लिए आपको बहुत तेजी दिखानी होगी।
आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को ऐसा ही होना चाहिए। आपके पास इतना वक्त भी नहीं है कि आप बिना पके केले खरीद सकें। इसके लिए आपको बहुत तेजी दिखानी होगी।
एक बार जरा सी शिथिलता आ गई तो कई जीवन लग जाएंगे। अगर आप तेजी से आगे बढ़ते हैं तो यह सब बहुत जल्दी होने लगेगा।
अगर लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो आप देखेंगे कि कुछ महीनों या साल भर के अंदर आपके अंदर महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। तो आपकी आध्यात्मिकता चौबीस घंटे जारी रहनी चाहिए।
जीवन में आपने अपने भीतर जबर्दस्त तीव्रता और परम आनंद के कुछ पल जरूर महसूस किए होंगे।अगर उस अभूतपूर्व पल में आप हर क्षण रह सकें, तो आप उन तमाम चीजों से मुक्त हो जाएंगे, जो आपको रोजमर्रा की जिंदगी में परेशान करती हैं। फिर इस संसार में आपके लिए कोई समस्या नहीं रह जाएगी।
अभी स्थिति यह है कि आपने यहां-वहां बस कुछ ही ऐसे पल महसूस किये होंगे, जो वास्तव में आपके लिये मायने रखते हैं। बाकी वक्त तो हम शरीर की सामान्य प्रक्रियाओं में ही रमे रहते हैं। शरीर बस दो ही चीजें जानता हैः अपने को सुरक्षित रखना और प्रजनन करना। लेकिन अगर आप इस शरीर के अंदर ऊर्जा को ठीक ठीक व्यवस्थित कर लें, तो उसी शरीर को इस तरीके से रूपांतरित किया जा सकता है कि यह दैवी शक्ति की तरह काम करने लगे।
योग की पूरी प्रणाली इसी पर आधारित है। अगर आप खूब ध्यान और अभ्यास करें तो आप देखेंगे कि यह शरीर अब मात्र एक भौतिक इकाई नहीं रह गया है। जैसे ही ये ऊर्जाएं खुद को रूपांतरित करने लगेंगी तो कुछ खास किस्म के बदलाव आयेंगे। आज लोगों की समस्या यह है कि वे हमेशा इस बात की कामना करते हैं कि उनके जीवन में कुछ घटित हो। अभी जो भी है, उससे वे बोर हो चुके हैं। लेकिन अगर कुछ भी नया होता है तो उसे लेकर भी वे असुरक्षित हैं। यह ऐसे है, जैसे कोई हैंड-ब्रेक लगा कर कार चलाने की कोशिश करे। इस तरह कोई फायदा नहीं होगा।
इस पर हरदम अमल करने की जरूरत है। अगर लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो आप देखेंगे कि कुछ महीनों या साल भर के अंदर आपके अंदर महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। तो आपकी आध्यात्मिकता चौबीस घंटे जारी रहनी चाहिए। आध्यात्मिकता जारी रहने का क्या अर्थ है? क्या इसका अर्थ यह है कि मैं ऑफिस नहीं जा सकता? क्या मैं अपने परिवार के साथ नहीं रह सकता? नहीं, इसका मतलब यह नहीं है। इसका मतलब है कि आप इन सभी कामों को एक आध्यात्मिक प्रक्रिया बना लें। किसी से बात करना, ऑफिस में काम करना, कोई और काम, हर सांस जो आप लेते हैं, अगर आप इन सब चीजों को आध्यात्मिक प्रक्रिया बना दें, तो कुछ ही महीनों में आप देखेंगे कि आप पूरी तरह से एक अलग अवस्था में पहुंच गए हैं। एक ऐसी अवस्था जहां पूरी दुनिया आपकी मौजूदगी का आनंद लेगी – केवल इंसान ही नहीं, हर जीवित प्राणी आपको महसूस करेगा। बस आपको इस मार्ग पर हरदम आगे बढ़ते जाना है। कभी किया, कभी छोड़ दिया, फिर कर लिया, फिर छोड़ दिया, अगर ऐसा है तब तो आपके कई जीवन लग जाएंगे।