खुश रहने के 10 सरल नुस्खे

हम जीवन में जो भी करते हैं, खुशी पाने के लिए करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से खुश रहना काफी मुश्किल काम लगता है। हमें लगता है कि खुश रहने के लिए कुछ खास तरह के हालात होने चाहिए, तभी हम खुश रह सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। सद्गुरु बता रहे हैं कुछ आसान से नुस्खे जिन्हें अपना कर हर हाल में, हम खुश रह सकते हैं।

सद्गुरुहम जीवन में जो भी करते हैं, खुशी पाने के लिए करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से खुश रहना काफी मुश्किल काम लगता है। हमें लगता है कि खुश रहने के लिए कुछ खास तरह के हालात होने चाहिए, तभी हम खुश रह सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। सद्‌गुरु बता रहे हैं कुछ आसान से नुस्खे जिन्हें अपना कर हर हाल में, हम खुश रह सकते हैं।

सद्‌गुरु : जब आप बुनियादी रूप से खुश होते हैं, जब आपको खुश रहने के लिए कुछ करना नहीं पड़ता, तो आपके जीवन के हर आयाम में बदलाव आ जाएगा। आपके अनुभवों में और खुद को व्यक्त करने के तरीकों में बदलाव आ जाएगा। आपको पूरी दुनिया बदली हुई लगेगी। आपका अब कोई निहित स्वार्थ नहीं होगा क्योंकि चाहे आप कुछ करें या न करें, चाहे आपको कुछ मिले या न मिले, चाहे कुछ हो या न हो, आप स्वभाव से ही आनंदित होंगे। जब आप अपने स्वभाव से ही खुश होते हैं, तो आप जो भी करेंगे, वह बिल्कुल अलग स्तर पर होगा।

एक खुशहाल जीवन के लिए 10 साधन :-
1. ध्यान रखें कि खुश रहना आपकी बुनियादी जिम्मेदारी है
किसी इंसान की पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी एक खुशमिजाज प्राणी होने की है। खुश रहना जीवन का चरम पहलू नहीं है। यह जीवन का बुनियादी पहलू है। अगर आप खुश नहीं हैं, तो आप अपने जीवन में क्या कर सकते हैं ? एक बार आप खुश हों, तभी दूसरी महान संभावनाएं खुलती हैं।
चाहे आप जो भी करें, आप अपने अंदरूनी गुणों को ही विस्तार देते हैं और जगाते हैं। चाहे आप इस बात को पसंद करें या नहीं, हकीकत यही है। जब तक कि कोई महत्वपूर्ण चीज आपके भीतर घटित नहीं होती, आप दुनिया के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण नहीं कर सकते। इसलिए अगर आप दुनिया के बारे में चिंतित हैं, तो पहली चीज आपको यह करनी चाहिए कि खुद को एक खुशमिजाज प्राणी में रूपांतरित करें।

2. पहचानें कि खुशी आपकी मूल प्रकृति है
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने जीवन में क्या कर रहे हैं, चाहे वह कारोबार हो, सत्ता, शिक्षा या सेवा, आप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आपके भीतर कहीं गहराई में एक भावना है कि इससे आपको खुशी मिलेगी। इस धरती पर हम जो कुछ भी करते हैं, वह खुश रहने की इच्छा से करते हैं, क्योंकि यह हमारी मूल प्रकृति है। जब आप बच्चे थे, तो आप यूं ही खुश थे। वही आपकी प्रकृति है। खुशी का स्रोत आपके भीतर है, आप उसे हमेशा के लिए एक जीवंत अनुभव बना सकते हैं।

3. चीजों का महत्व पहचानें
आज सुबह, क्या आपने देखा कि सूर्य बहुत अद्भुत तरीके से उगा? फूल खिले, कोई सितारा नीचे नहीं गिरा, तारामंडल बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं। सब कुछ व्यवस्थित है। आज समूचा ब्रह्मांड बहुत बढ़िया तरीके से काम कर रहा है मगर आपके दिमाग में आया किसी विचार का एक कीड़ा आपको यह मानने पर मजबूर कर देता है कि आज बुरा दिन है।

कष्ट मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर इंसान इस जीवन के प्रति सही नजरिया खो बैठे हैं। उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्व की प्रक्रिया से कहीं बड़ी हो गई है या सीधे-सीधे कहें तो आपने अपनी रचना को स्रष्टा की सृष्टि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। यह सारी पीड़ा का बुनियादी स्रोत है। हम इस बात की पूरी समझ खो बैठे हैं कि यहां जीवित रहने के क्या मायने हैं। आपके दिमाग में आया कोई विचार या आपके मन की कोई भावना फिलहाल आपके अनुभव की प्रकृति को तय करती है। और यह भी हो सकता है कि आपके विचार और भावना का आपके जीवन की सीमित हकीकत से कोई लेना-देना न हो। पूरी सृष्टि बहुत बढ़िया तरीके से घटित हो रही है मगर सिर्फ एक विचार या भावना सब कुछ नष्ट कर सकती है।

4. मन या दिमाग को उसके असली रूप में देखें
जिसे आप ‘मेरा मन’ कहते हैं, वह असल में आपका नहीं है। आपका अपना कोई मन नहीं है। कृपया इस पर ध्यान दें।जिसे आप ‘मेरा मन’ कहते हैं, वह बस समाज का कूड़ेदान है। कोई भी और हर कोई जो आपके पास से गुजरता है, वह आपके दिमाग में कुछ न कुछ डाल जाता है। आप वाकई यह चुन नहीं सकते कि किससे आपको चीजें ग्रहण करनी हैं और किससे नहीं करनी। अगर आप कहते हैं, ‘मुझे यह व्यक्ति पसंद नहीं है’, तो आप किसी भी और से ज्यादा उस इंसान से ग्रहण करेंगे। आपके पास कोई चारा नहीं है। अगर आपको इस बात की जानकारी हो कि उसे ठीक करके कैसे इस्तेमाल करना है, तो यह कूड़ेदान उपयोगी हो सकता है। असर और जानकारी का यह ढेर, जो आपने जमा किया है, वह सिर्फ दुनिया में जीवित रहने के लिए उपयोगी है। आप कौन हैं, इससे उसका कोई संबंध नहीं है।

5. मन से अपने बुनियादी अस्तित्व की ओर बढ़ें
जब हम किसी आध्यात्मिक प्रक्रिया की बात करते हैं, तो हम मन से अपने बुनियादी अस्तित्व की ओर जाने की बात करते हैं। जीवन का संबंध इस सृष्टि से है जो यहां मौजूद है – उसे पूरी तरह जानना और उसके असली रूप में उसका अनुभव करना, अपने मनमुताबिक उसे विकृत न करना – ही जीवन है। अगर आप अस्तित्व की हकीकत की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो सरल शब्दों में आपको बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि जो आप सोचते हैं, वह महत्वपूर्ण नहीं है, जो आप महसूस करते हैं, वह महत्वपूर्ण नहीं है। आप जो सोचते हैं, उसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है। उसका जीवन के लिए कोई बड़ा महत्व नहीं है। मन बस उन फालतू चीजों में उलझा रहता है, जो आपने कहीं और से इकट्ठा किया है। अगर आपको वह महत्वपूर्ण लगता है, तो आप कभी उसके परे नहीं देख पाएंगे।

आपका ध्यान स्वाभाविक रूप से उस दिशा में जाता है, जिसे आप महत्वपूर्ण मानते हैं। अगर आपके विचार और आपकी भावनाएं आपके लिए अहम हैं, तो स्वाभाविक रूप से आपका सारा ध्यान वहीं होगा। मगर यह सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक हकीकत है। इसका अस्तित्व में मौजूद चीजों से कोई लेना-देना नहीं है।

कष्ट हम पर बरसाया नहीं जाता, उसे पैदा किया जाता है। और उसे बनाने वाला कारखाना आपके मन में है। अब इस कारखाने को बंद करने का समय है।

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