हर इंसान यदि अपनी जिम्मेदारी को पूरे मन से स्वीकार करके आनंदपूर्वक काम करने लगे, तो इस देश को ही क्यों, पूरी धरती को अपनी इच्छानुसार बदला जा सकता है। तो फिर अब किसलिए इंतजार कर रहे हैं?
आज आपसे एक आसान सा सवाल पूछते हैं, आपका सबसे करीबी मित्र कौन हैं?
आपका उत्तर हो सकता है, ‘मेरी पत्नी या मेरे पति, मेरा बच्चा। नहीं, नहीं, मेरा मित्र। न, न, मेरी मां है, पिता हैं।’ इस तरह आप जो भी उत्तर दें, वह सब सफेद झूठ है।
देखिए, उनमें से हरेक को आपने एक हद तक ही छूट दी है। किसी को घर के दरवाजे तक, किसी को अपने हाथ की पहुंच तक, किसी को अपने बिस्तर तक। लेकिन चाहे कितनी ही नजदीकी क्यों न हों, उनसे भी एकाध रहस्य आपने अपने मन में छिपा रखा है। उस रहस्य को भी जानने की हद तक आपसे निकटता रखने वाला व्यक्ति केवल एक ही है।
कौन हैं वो? ‘वो ईश्वर हैं’ – ऐसे मूर्खतापूर्ण उत्तर मत दीजिएगा। आपके रहस्यों को जानने के बजाय दूसरे महत्वपूर्ण काम उनके पास हैं। तो, फिर वह करीबी व्यक्ति कौन है?
और कौन? आप खुद हैं। हां आप ही हैं! आप से भी घनिष्ठ व्यक्ति आपके लिए और कौन हो सकता है? आपको उसी घनिष्ठ व्यक्ति के बारे में ही पूर्ण रूप से जानना चाहिए। हर क्षण को अपनी इच्छानुसार बना लेने के लिए आपको दिया गया अवसर ही है यह जीवन।
इस पृथ्वी के भाग्य को बदलने वाले सभी ज्ञानी, उस क्षण के लिए जो आवश्यक था, उसी पर ध्यान केंद्रित करते हुए संपूर्ण इच्छा के साथ लग गए। वे यह सोचकर इंतजार में नहीं बैठे रहे कि पचास, पांच सौ या पांच हजार साल बाद कोई उस काम को करेगा।
इस देश के सारे ‘लाउडस्पीकर’ उन्हीं लोगों के थोथे बोल का शोर मचा रहे हैं, जो किसी तिनके को उठाकर रखने के लिए भी तैयार नहीं रहते। आज का माहौल हम सबके लिए इतना अनुकूल है जितना पहले कभी नहीं रहा था। विज्ञान ने हमें इतनी सुविधाएं दे रखी हैं कि एक साथ मिलकर काम करने में भाषा, संस्कृति, दूरी आदि कुछ भी बाधक नहीं है।
अगर आप जागरूकता से, आनंद से, लगन से और एकाग्र होकर काम करने लग जाएं तो आपके चारों ओर सौ लोग काम करेंगे। उनके चारों ओर दस हजार लोग सशक्त हो जाएंगे। यह संख्या थोड़े ही समय में दस लाख बन सकती है।
अगर दस लाख लोग जिम्मेदारी की भावना से पूरी लगन के साथ काम करेंगे तो उसके टक्कर की मजबूत ताकत विश्व में और कोई नहीं हो सकती। अपराजेय सैन्य बल रखना ताकत नहीं है। सही मार्गदर्शन पाने के लिए लोग आपकी तरफ ताकते हैं, वही है सबसे बड़ी ताकत। यदि वैसी शक्ति रहे तो आप करोड़ों लोगों को आज, अभी उस ऊंचाई तक ले जा सकते हैं, जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता।
इस बदलाव को कानून बनाकर नहीं लाया जा सकता है। नेताओं द्वारा जबरन थोपा नहीं जा सकता। हर इंसान यदि अपनी जिम्मेदारी को पूरे मन से स्वीकार करके आनंदपूर्वक काम करने लगे, तो इस देश को ही क्यों, पूरी धरती को अपनी इच्छानुसार बदला जा सकता है।
तो फिर अब इंतजार क्यों?
मानव जाति के लिए अगले बीस-तीस साल बेहद महत्वपूर्ण हैं। इंसान ने गैर-जिम्मेदाराना ढंग से पागलपन से भरी जो हरकतें की हैं, पृथ्वी को इससे जो नुकसान हुआ है, उसे लेकर कई लोग चिंता जाहिर करने लगे हैं। लेकिन अभी भी कोई महत्वपूर्ण और कारगर कदम नहीं उठाया गया है। फिर भी चारों ओर हो रही तबाही के बारे में विश्व में जहां-तहां चिंता और उत्तरदायित्व की भावना जाग रही है, इससे मेरे मन में आशा का संचार हो रहा है।
मानव हृदय जिसे पाने के लिए तड़प रहा है, उसे ठीक से समझने में हम चूक गए हैं। भले ही आज की हालत कुछ भी हो, शीघ्र ही एक नया मोड़ आने वाला है। मेरा विश्वास है कि आज की बदहाली में बदलाव आएगा। कुछ ही समय के अंदर यह बदलाव आकर रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि दुनिया के इतिहास को बदलकर लिखने की शक्ति रखने वाले देशों के शीर्ष नेता समझदार बनें।