लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बड़े नहीं, सधे हुए कदम बढाएं

साधना हम कहते किसे हैं? क्या कुछ खास तरह की गतिविधियां ही साधना हैं या हर काम को साधना बनाया जा सकता है? आइए ज़रा गौर करें।

साधना हम कहते किसे हैं, आइए जरा गौर करें। आम तौर पर जब हम साधना की बात करते हैं, तो मन में कुछ खास तरह की तस्वीरें उभरती हैं, जैसे पहाड़ पर या गुफाओं में बैठा योगी, जंगल में तपस्या करते ऋषि-मुनि, आसन व ध्यान करते साधक या फिर पूजा-पाठ या उपवास-व्रत करते नर नारी…। तो क्या कुछ खास तरह की गतिविधियां ही साधना हैं और बाकी के काम साधना नहीं हैं? नहीं, ऐसा नहीं है।

जागरूकता – एक अनमोल भेंट
इंसान इस धरती का सबसे विकसित प्राणी है। धरती के दूसरे प्राणियों का विकास पूरी तरह से कुदरती तौर पर होता है, इसमें उनका कोई वश नहीं चलता। जबकि इंसान के पास विकास की प्रक्रिया को मनचाही गति और दिशा देने का विकल्प होता है। दूसरे प्राणियों से इंसान इस मायने में अलग है कि वह जीवन को सचेतन जी सकता है, वह जागरूक रहने के काबिल है। जीवन को पूरी जागरूकता में जीने की यह क्षमता ही इंसान के अंदर दिव्य संभावनाओं को जन्म देती है और उसे सृष्टिकर्ता तक पहुंचने के काबिल बनाती है।

दूसरे प्राणियों से इंसान इस मायने में अलग है कि वह जीवन को सचेतन जी सकता है, वह जागरूक रहने के काबिल है। जीवन को पूरी जागरूकता में जीने की यह क्षमता ही इंसान के अंदर दिव्य संभावनाओं को जन्म देती है और उसे सृष्टिकर्ता तक पहुंचने के काबिल बनाती है।
हर काम साधना है
हमारा हर वो काम जिसे हम सचेतन होकर पूरी जागरूकता में करते हैं, हमारे लिए साधना बन जाता है। अचेतन होकर, बेहोशी में किए गए काम हमारे कल्याण की विपरीत दिशा में हमें ले जाते हैं। हांलाकि जागरूकता, इंसान को अपने रचयिता से मिली एक अनमोल भेंट है, फिर भी हर किसी के लिए जागरूक होकर जीना मुश्किल होता है।

इसीलिए इंसान की भीतरी प्रकृति की समझ के आधार पर योग विद्या में कुछ ऐसे साधन बनाए गए हैं, जो सचेतन होकर जीने में हमें सक्षम बनाते हैं। इन्हीं साधनों को आम तौर पर साधना के नाम से जाना जाता है। लेकिन यह बात हमें स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि साधना कुछ खास तरह की गतिविधियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही व्यापक आयाम है। यह बाहरी कम और आंतरिक ज्यादा है। हम अपनी हर गतिविधि को, यहां तक कि अपनी हर सांस को साधना बना सकते हैं

और निहाल होकर जी सकते हैं।
साधना तो पारस है जिसके स्पर्श मात्र से लोहे सरीखा जीवन दमकते स्वर्ण में रूपांतरित हो सकता है। आप भी अपने जीवन को दमकते सोने सा निखारें, इसी स्वर्णिम कामना के साथ यह अंक, जिसमें हमने साधना से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समेटा है, आपको भेंट करते हैं। स्वीकार करें हमारी ये भेंट. . .।

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