भारत में खेलों को बढ़ावा देने की शुरुआत कैसे करें?

अभिनव बिंद्रा ने सद्‌गुरु से पूछा कि भारत में खेलों को लोकप्रिय बनाने के लिए क्या करना चाहिए। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि अगर भारत की ग्रामीण आबादी खेलना शुरू कर दे, तो खेल लोकप्रिय बन जाएंगे।

अभिनव बिंद्रा: युवाओं के चौतरफा विकास के लिए खेल महत्‍वपूर्ण हैं जो शारीरिक, सामाजिक और भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के साथ-साथ टीमवर्क और खेल भावना को भी बढ़ावा देते हैं। हम कैसे ऐसा आंदोलन तैयार कर सकते हैं जो हमारे देश के युवाओं को खेल की तरफ ले जाए और साथ ही हमारे समाज को अधिक खेल प्रिय बनाए।

सद्‌गुरु: नमस्‍कारम अभिनव, खेल के बारे में सबसे अच्‍छी चीज यह है कि आप पूरी भागीदारी के बिना नहीं खेल सकते। जीवन का सार हमारी भागीदारी में ही है। तो, खेल के लिए भागीदारी जरूरी है। आप भागीदारी के बिना स्‍कूल या कॉलेज जा सकते हैं, भागीदारी के बिना दफ्तर जा सकते हैं, भागीदारी के बिना शादी तक कर सकते हैं, मगर आप भागीदारी के बिना खेल नहीं सकते क्‍योंकि खेल भागीदारी के बिना कारगर नहीं होता – कुछ भी उस तरह नहीं हो पाएगा, जैसे आप चाहते हैं।

तो, जब आप गेंद को किक करते हैं या बल्‍ले से उसे मारते हैं या बुलेट को शूट करते हैं, तो आप जानते हैं कि पूरी भागीदारी के बिना वह वहां नहीं जाएगी, जिधर आप उसे ले जाना चाहते हैं। समाज में आप अपनी असफलता का दोष किसी और पर डालकर उसे छिपा सकते हैं, खेल में ऐसा करना मुश्किल है, यह साफ-साफ नज़र आता है कि आप जो कर रहे हैं उसके लिए आप जिम्‍मेदार हैं, खेल का सबसे अच्‍छा पहलू यही है।

क्‍या इसे हमारे जीवन में भी आना चाहिए? बिल्‍कुल। खेल को इस देश का हिस्सा कैसे बनाएं? भारत में खेल लोकप्रिय तब बनेंगे, जब भारत की 65% ग्रामीण जनसँख्या खेल खेलना शुरू कर दे। ऐसा करने के लिए, हम ग्रामोत्सव आयोजित करते हैं, जिसमें हज़ारों गांव खेलों में हिस्‍सा लेते हैं। मैं उन सभी सीनियर खिलाड़ियों से आग्रह करता हूँ, जो अपना प्रोफेशनल खेल जीवन पूरा कर चुके हैं, कि वे इसे पूरे भारत तक पहुंचाने में मदद करें, ताकि ग्रामीण भारत में खेल को लाया जा सके।

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