सद्गुरु: भीमराव रामजी अंबेडकर, एक ऐसे दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने भारत के सबसे अधिक पीड़ित लोगों को गरिमा और अधिकार दिलाए। वे सदियों से दलितों के साथ हो रहे गलत व्यवहार को सामने लाए और फिर, कम से कम कानूनी स्तर पर, समानता बहाल की गई। हालाँकि सामाजिक स्थिति में आज भी बहुत अधिक सुधार की ज़रूरत है। वे इस बात के शानदार उदहारण थे, कि प्रतिभा किसी वंश की मोहताज नहीं होती। विशाल दृष्टिकोण और करुणा से भरपूर अम्बेडकर जी ने कहा था – ‘लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है बल्कि दूसरे मनुष्यों के प्रति सम्मान और सत्कार का भाव है।’ हालांकि हम राजनीतिक तौर पर लोकतांत्रिक हैं, लेकिन हम पूरी तरह लोकतांत्रिक नहीं हो पाए हैं। अम्बेडकर जी का एक सामाजिक लोकतंत्र बनाने का सपना असफल रहा है। एक पीढ़ी के तौर पर हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें किसी की पहचान उसकी प्रतिभा से हो, जाति या वंश से नहीं। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, एक असाधारण व्यक्ति हैं, जिन्होंने राष्ट्रवाद की हमारी आकांक्षाओं को आकार और रूप दिया। आज के दिन हम उनको नमन करते हैं।