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भगवान के यहाँ से तुम्हे सर्वोच्च आशीर्वाद दिया गया है। इस ग्रह का सबसे अनमोल ज्ञान दिया गया है। तुम दिव्य हो तुम परमात्मा का हिस्सा हो विश्वास के साथ बढ़ो यह अहंकार नहीं है यह पुन: प्रेम है।
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तुम्हारा मस्तिष्क भागने की सोच रहा है और उस रास्ते पर जाने का प्रयास नहीं कर रहा है। जहाँ गुरु ले जाना चाहते हैं तुम्हे उठाना चाहते हैं।
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चाहत या इच्छा तब पैदा होती है जब आप खुश नहीं होते क्या आपने देखा है? जब आप बहुत खुश होते हैं तब संतोष होता है संतोष का धन अर्थ है कोई इच्छा ना होना।
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इच्छा हमेशा मैं पर लटकती रहती है जब स्वयं मैं लुप्त हो रहा हो इच्छा भी समाप्त हो जाती है ओझल हो जाती है।
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हर एक चीज के पीछे तुम्हारा अहंकार है मैं, मैं, मैं, मैं लेकिन सेवा में कोई मैं नहीं है क्योंकि यह किसी और के लिए करनी होती है।
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दूसरों को आकर्षित करने में काफी उर्जा बर्वाद होती है। और दूसरों को आकर्षित करने की चाहत में-मैं बताता हूँ विपरीत होता है।
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अपने हुनर को पहचानें और सम्मान दें।
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आध्यात्मिक ज्ञान युक्त क्षमता, नवीन क्षमता और संचार को बेहतर बनाता है।
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कामयाबी के पीछे बैचेन न हो, अगर लक्ष्य साफ है तो थोड़ा सब्र रखना चाहिए, किस्मत तुम्हारा साथ देगी…।
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नए विचारों के लिए दिमाग को खोले, न की सफलता के बारे में चिंतित हो, 100 प्रतिशत प्रयास करना और ध्यान लगाना उद्यमियों के लिए सूत्र है।।
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जिंदगी में गंभीर होने जैसा कुछ नही है। जिन्दगी आपके हाथों में एक गेंद की तरह है जिसके साथ खेलना है। गेंद को पकड़ो मत।
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हमेशा आराम के चक्कर में रहेंगे तो आप आलसी हो जाएंगे। हमेशा निपुणता की चक्कर में रहेंगे तो गुस्सेल बन जाएंगे, और अगर हमेशा अमीर बनने के चक्कर में रहेंगे तो लालची बन जाएंगे।
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एक गरीब आदमी साल में एक बार नए साल का जश्न मनाता है। एक अमीर आदमी प्रत्येक दिन मनाता है। लेकिन सबसे अमीर आदमी हर पल मनाता है।
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अपने कार्यों के पीछे के उद्देश्यों को देखें। अक्सर आप उन चीजों के लिए नहीं जाते जो वास्तव में आप चाहते हैं।
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दूसरों को आकर्षित में हम ज्यादा ऊर्जा खत्म कर देते हैं और आकर्षण की इच्छा में-ठीक इसके विपरीत होता है।