“मैं आपको बताता हूँ, आपके अन्दर एक परम आनंद का फव्वारा है, प्रसन्नता का झरना है। आपके मूल के भीतर सत्य, प्रकाश और प्रेम है, वहां कोई अपराध बोध नहीं है, वहां कोई डर नहीं है। मनोवैज्ञानिकों ने कभी इतनी गहराई में नहीं देखा।”~ श्री श्री रवि शंकर
“जिसे तुम चाहते हो उससे प्रेम करना नगण्य है। किसी से इसलिए प्रेम करना क्योंकि वह तुमसे प्रेम करता है यह महत्वहीन है। किसी ऐसे से प्रेम करना जिसे तुम नहीं चाहते, मतलब तुमने जीवन से कुछ सीखा है। किसी ऐसे से प्रेम करना जो तुमसे घृणा करे यह दर्शाता है की तुमने जीवन जीने की कला सीख ली।”~ श्री श्री रवि शंकर
“आज भगवान का दिया हुआ एक उपहार है, इसीलिए इसे ‘PRESENT’ कहते हैं।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“भरोसा रखना कि वहाँ आपकी कमजोरी को दूर करने के लिए कोई बैठा है। ठीक है, आप एक बार सोते हो, दो बार, तीन बार। ये कोई मायने नही रखता, मायने तो सिर्फ आपका आगे बढ़ना रखता है। इसीलिए कमजोरियों की चिंता किये बिना ही सतत आगे बढ़ते रहे।”~ श्री श्री रवि शंकर
“प्रेम कोई भावना नहीं है, यह आपका अस्तित्व है।” ~श्री श्री रवि शंकर
“श्रद्धा यह समझने में है कि आप हमेशा वो पा जाते हैं जिसकी आपको ज़रुरत होती है।” ~श्री श्री रवि शंकर
“मानव विकास के दो चरण है – कुछ होने से कुछ ना होना, और कुछ ना होने से सबकुछ होना। यह ज्ञान दुनिया भर में योगदान और देखभाल ला सकता है।”~ श्री श्री रवि शंकर
“दूसरों को सुनो फिर भी मत सुनो। अगर तुम्हारा दिमाग उनकी समस्याओं में उलझ जाएगा फिर ना सिर्फ वो दुखी होंगे बल्कि तुम भी दुखी हो जओगे।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके प्रति बहुत गंभीर रहा जाए। जीवन तुम्हारे हाथों में खेलने के लिए एक गेंद की तरहहै । गेंद को पकड़े मत रहो।”~ श्री श्री रवि शंकर
“हमेशा आराम की चाहत में, तुम आलसी हो जाते हो। हमेशा पूर्णता की चाहत में, तुम क्रोधित हो जाते हो। हमेशा अमीर बनने की चाहत में, तुम लालची हो जाते हो।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“बुद्धिमान वो हैं जो औरों की गलती से सीखता है। थोड़ा कम बुद्धिमान वो है जो सिर्फ अपनी गलती से सीखता है। मूर्ख एक ही गलती बार-बार दोहराते रहते हैं और उनसे कभी सीख नहीं लेते।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“एक निर्धन व्यक्ति नया साल वर्ष में एक बार मनाता है। एक धनाड्य व्यक्ति हर दिन, लेकिन जो सबसे समृद्ध होता है वह हर क्षण मनाता है।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“अपने कार्य के पीछे की मंशा को देखो। अक्सर तुम उस चीज को पाना नहीं चाहते जो तुम्हें सच में चाहिए।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“स्वर्ग से कितना दूर? बस अपनी आँखें खोलो और देखो, तुम स्वर्ग में हो।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“तुम्हारा मस्तिष्क भागने की सोच रहा है और उस स्तर पर जाने का प्रयास नहीं कर रहा है जहाँ गुरु ले जाना चाहते हैं, तुम्हें उठाना चाहते हैं।” ~ श्री श्री रवि शंकर
“चाहत या इच्छा तब पैदा होती है, जब आप खुश नहीं होते, क्या आपने देखा है? जब आप बहुत खुश होते हैं तब संतोष होता है, संतोष का अर्थ है कोई इच्छा ना होना।” ~ श्री श्री रवि शंकर