15 quotes / Sri Sri Ravishankar Hindi / Part 9

  1. “ज्ञान बोझ है यदि वह आपको ये प्रतीत कराता है की आप विशेष है।”~ श्री श्री रवि शंकर

  2. “चिंता करने से आपके जीवन में कोई बदलाव नही होंगा लेकिन काम करने से जरुर आप अपने आप को मजबूत बना सकते हो।”~ श्री श्री रवि शंकर

  3. “जीवन प्रकृति के बनाये नियमो पर चलता है।”~ श्री श्री रवि शंकर

  4. “जिनमे कोई यह नही जानता की एक दोस्त कब दुश्मन बन जाये या दुश्मन कब दोस्त बन जाये। इसीलिए हमेशा खुद पर भरोसा रखे।”~ श्री श्री रवि शंकर

  5. “हम अपने गुस्से को क्यों काबु में नही करते? क्योकि हमें पूर्णता से प्यार है। इसीलिए जीवन में थोड़ी सी जगह अपूर्णता को भी दे तभी आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हो।”~ श्री श्री रवि शंकर

  6. “शाश्वत इंतज़ार, अनंत धैर्य का होना बहोत जरुरी है। क्योकि जब आपके पास अनंत धैर्य होता है, तब आपको अपने पीछे भगवान को अनुभूति होती है। जबकी सतत प्रयास और कोशिश करते रहने से भी आप इसी जगह पर पहोच सकते हो।”~ श्री श्री रवि शंकर

  7. “यदि कोई आपको सबसे ज्यादा ख़ुशी दे सकता है तो वह आपको दुःख भी दे सकता है।”~ श्री श्री रवि शंकर

  8. “उस बात के लिए गुस्सा होना जो पहले से ही हो चुकी है, इसका कोई अर्थ नही है। आप हमेशा अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हो, नही करते तो बस आप घटित घटना को नए नजरिये से नही देखते।”~ श्री श्री रवि शंकर

  9. “प्यार में कभी गिरना नही चाहिये, प्यार में हमेशा आगे बढ़ना चाहिये।”~ श्री श्री रवि शंकर

  10. “मै आपको बताता हु की, आपके मस्तिष्क के अलावा कोई भी दुसरी चीज़ आपको परेशान नही कर सकती। हा, भले ही आपको ऐसा दिखाई देंगा की दुसरे आपको परेशान कर रहे हो लेकिन वह आपका मस्तिष्क ही होंगा।”~ श्री श्री रवि शंकर

  11. “अनंत मतलब सिमित चीजो या बातो को व्याप्त करना या विस्तृत करना है।”~ श्री श्री रवि शंकर

  12. “जब तुम जीवन को ही पूजा मानते हो तो, प्रकृति तुम्हारी सभी इच्छाएं पूरी करती है!” ~ श्री श्री रवि शंकर

  13. “थोड़ा समय निकाल कर अपने भीतर मौन में जाओ, तुम उससे बोहत सारा बल पाओगे, तुम्हारी शोभा अनन्त बनेगी और..प्रेम अप्रबंधित हो जाएगा ..हमारी चेतना का स्वभाव ही यही है।“~ श्री श्री रवि शंकर

  14. “तुम्हे सर्वोच्च आशीर्वाद दिया गया है , इस ग्रह का सबसे अनमोल ज्ञान दिया गया है । तुम दिव्य हो ; तुम परमात्मा का हिस्सा हो । विश्वास के साथ बढ़ो । यह अहंकार नहीं है । यह पुनः : प्रेम है ।“ ~ श्री श्री रवि शंकर

  15. “तो क्या अगर कोई तुम्हे पहचानता है : ओह, तुम एक शानदार व्यक्ति हो . तो क्या ? उस व्यक्ति के दिमाग में वो विचार आया और गया । वह भी ख़त्म हो गया । वो विचार चला गया । हो सकता है कि कुछ दिन , कुछ महीने वो तुम्हारे प्रति आकर्षित रहे , तो क्या ? वो भी चला जाता है , ये भी चला जाता है ।“ ~ श्री श्री रवि शंकर

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