15 quotes / Sri Sri Ravishankar Hindi / Part 10

  1. यदि तुम लोगों का भला करते हो , तुम अपनी प्रकृति की वजह से करते हो..

  2. तुम्हारा मस्तिष्क भागने की सोच रहा है और उस अस्तर पर जाने का प्रयास नहीं कर रहा है जहाँ गुरु ले जाना चाहते हैं , तुम्हे उठाना चाहते हैं

  3. प्रेम अधूरा है| और उसे अधूरा ही रहना है| यदि वे पूर्ण हो जाता है, वे अनंत खोज लेता है|

  4. जब तुम कहीं सुन्दरता को देखते हो, जब तुम किसी से प्रेम करने लगते हो, तुम्हारा अगला कदम होता है उस पर अधिकार करना, उसे पा लेना; और जब तुम उसे पा लेते हो, वे अपनी महत्वपूर्णता खो देती है..

  5. योग का मतलब भीतर से जुड़ जाना , जैसे की हम अपने मोबाइल को चार्ज करते है| क्या आप मरे हुवे फोन से बात कर सकते है ? नही नाआप को फिर से फोन को दुबारा चार्ज करना पड़ता है |

  6. योग की शुरुआत आनंद से होती है, जब आप आनंदमय होते हैं तो आप सत्य की खोज शुरू कर देते हैं और आपकी यात्रा की शुरुआत हो जाती है..

  7. संपूर्ण विश्व ईश्वरीय प्रकाश से व्याप्त है।

  8. सुख की लालसा से ही मन भटकता ही की वहां सुख मिलेगा ?

  9. जब मन अशांत हो, तो गाने- बजाने और भजन करने से मन ठीक हो जाता है|

  10. चेतना ही शांति है अर्थात आप स्वयं शांति हैं, आप स्वयं सत्य हैं, आप स्वयं ही उर्जा हैं..

  11. कुछ लोग होश से काम करते है, मस्त नही रहते | कुछ सिर्फ़ मस्त रहते है, होश से काम नही करते.

  12. ऐसे लोग लंगडे है, मस्ती और होश दोनो का ईस्तमाल करके चलना|

  13. प्रेम कोई भावना नहीं है. यह आपका अस्तित्व है.

  14. यह सम्पूर्ण विश्व को तुम देखते हो, परन्तु तुम इश्वर को नहीं देखते—जो सम्पूर्ण विश्व का जीवन है.

  15. श्रद्धा यह समझने में है कि आप हमेशा वो पा जाते हैं जिसकी आपकी ज़रुरत होती है.

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