यदि कोई नकारात्मक या अप्रिय भावना आपके अंदर आती है, लेकिन आप नहीं चाहते की वो आये। आप इसका विरोध करते हैं , लेकिन वो फिर भी आयेगी। आप लगातार इसका विरोध करते रहें तो वो कायम रहती है। आप विरोध न करें, बस देखें ! इसकी गहराई तक जाए। अपने पैरों पर खड़े हो जाएँ और नाचे ! मस्ती में रहें और मस्ती में चलें।
किसी भी चीज़ को, किसी भी काम को, कुछ भी होने को मुश्किल न समझें। आपके पास बहुत बड़ी शक्ति हैं और उसी के अनुसार आपको काम मिलता है।
प्रेम कोई भावना नहीं हैं। प्रेम तुम्हारा अस्तित्व हैं।
आध्यात्मिक अध्य्यन करके, उसे बोल कर आप एक माध्यम बन जाते हैं। आप ईश्वर का अंश बन जाते हो। आप देवतत्व की उपस्थिति को महसूस करने में सक्षम हो जाते हो। सभी अलग-अलग स्वर्गदूत और देवता, हमारी चेतना के ये सभी अलग-अलग रूप, खिलना शुरू करते हैं।
सब कुछ खुशी से करो। चलना, बात करना, बैठना, सब कुछ ख़ुशी से ; भले ही आप किसी के खिलाफ शिकायत क्यों न करें, खुशी से करें।
विश्वास यह महसूस कर रहा है ; आपको वही मिलता आ रहा है जो आपने अभी तक चाहा है।
अगर आपसे कोई कहता है ; ओह ! आप एक शानदार व्यक्ति हैं। तो क्या यह विचार उस आदमी के दिमाग में हमेशा रहने वाला है ? विचार आता है और चला जाता है। अगर इसके विपरीत विचार है तो वह भी आऐगा और चला जायेगा। आप एक विचार को क्यों रोककर बैठे हैं।
चिंता करने की कोई बात नहीं है। कठिन समय, परेशानियों वाला समय , बहुत अच्छा समय, अच्छा समय, बहुत बुरा समय और बुरा समय होगा। वे सभी जीवन में आते हैं और जाते हैं। कुछ भी नहीं रहने वाला।
तुम्हारे अंदर आनद, प्रेम और शांति का फव्वारा है। तुम्हारे अंदर केंद्र में गहरा सत्य है, एक गहरा प्रेम है। वहाँ कोई डर नहीं है, कोई अपराध नहीं है। आपने कभी गहराई से देखने की कोशिश नहीं की। आप सिर्फ बाहर की चीज़ो से प्रभावित रहे। कोई भी मनोविज्ञानिक इसे बहुत गहराई से नहीं देख पाया।
आपको सर्वोत्तम आशीर्वाद दिया गया है। इस ग्रह पर सबसे अनमोल ज्ञान दिया गया है। तुम दिव्य हो, तुम परमात्मा का अंश हो । विश्वास के साथ आगे बढ़ो । यह अहंकार नहीं है बल्कि यह पुन प्रेम है।
विश्वास आपके मस्तिष्क से आता है। भक्ति आपके हृदय से आती है। ध्यान के द्वारा आप इनको जोड़ सकते हैं।
‘आज’ ईश्वर की ओर से एक उपहार है – इसीलिए इसे वर्तमान कहा जाता है।
आप अपने अंदर मोन को महसूस कीजिये। आपको शांति और बहुत सारा बल मिलेगा। अप्रतिबंधित प्रेम मिलेगा। तुम्हारी शोभा अनंत बनेगी। हमारी चेतना का यही स्वाभाव है।
यदि आपको कुछ कहना है तो आपको बोलना होगा। यदि आपको बहुत कुछ कहना हैं तो मोन रहना होगा। आप समझदारी चाहते हैं; यह मोन से आती है।
वही तुम अपने दुखो को साझा करते हो, तो यह कम नहीं होगा। यदि तुम अपनी खुशियों को बाटने से चूक जाते हो तो यह कम होगी। समस्यों को केवल ईश्वर के साथ साझा करें, किसी और के साथ नहीं, क्योंकि इससे केवल समस्याएं बढ़ेंगी। अपनी खुशियों को सभी के साथ साझा करें।