चाणक्य के अनुसार इन चार कामो से क्षणिक आनंद मिलता है

गर्मी का मौसम में आकाश में बादल

जब गर्मी का मौसम हो तो बादलों की छाया सुकून देती है लेकिन यह क्षणिक होती है। बादल वहां स्थायी नहीं होते और बहुत जल्द वे हट जाते हैं। इससे राहगीर को वापस तेज गर्मी का सामना करना पड़ता है। अत: समझदार व्यक्ति ऐसी छाया पर आश्रित नहीं रहता।

दुर्जन से दोस्ती व् मित्रता

दुर्जन से न मित्रता अच्छी और न शत्रुता। ऐसे लोगों का साथ जीवन पर कलंक लगाता है तो इनसे शत्रुता कई समस्याएं लेकर आती है। अत: वही व्यक्ति बुद्धिमान है जो इनकी संगति न करे, क्योंकि एक दिन ऐसे लोगों के कारण संकट अवश्य आता है। इनसे दूर रहने में ही स्वयं का कल्याण है।

दुष्टों से प्रेम करना

दुष्टों से प्रेम करना भी कम कष्टकारक नहीं है। प्रारंभ में तो यह बहुत सुखद लगता है परंतु बाद में इसके परिणाम अपने साथ अनेक संकट लेकर आते हैं। दुष्टजन अपने लाभ के लिए किसी से भी प्रेम का नाटक कर सकते हैं। ऐसे में वही मनुष्य ज्ञानी है जो इनके प्रेम के नाटक को समझकर इनसे दूरी बना ले।

अग्नि से सावधानी

अग्नि का सावधानी से किया गया उपयोग जीवन को सुखद व सुरक्षित बनाता है। इससे अंधकार दूर होता है और भोजन भी तैयार होता है। इस संबंध में चाणक्य कहते हैं। कि तिनका कुछ देर के लिए तो अंधकार दूर कर सकता है लेकिन उससे ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि बहुत जल्द वह बुझ भी जाता है। इसका मतलब है की जीवन में कोई लक्ष्य बनाओ तो सदैव स्वयं की शक्ति पर भरोसा रखो। दूसरे आपकी कुछ देर के लिए तो मदद कर सकते हैं लेकिन हमेशा कोई साथ नहीं देता।

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