चाणक्य एक महान ज्ञानी के साथ अछे नीतिकार भी थे, उन्होंने अपनी नीतियों में मनुष्य जीवन को सुखकर बनाने के लिए बहोत सी महत्वपूर्ण बाते बताई है, प्रत्येक मनुष्य को चाणक्य की इन बातो को ध्यान में रख कर कार्य करना चाहिए, जो भी मनुष्य ऐसा करता है वह जीवन में बड़ी सी बड़ी मुश्किल को आसानी से पार कर सकता है..
दोस्तों हम भलीभांति जानते है की, बहोत से लोग उनके स्वभाव के कारन ही अन्य लोगो की गुलामी करते है, आप कभी कभी देख सकते, आपके कुछ मित्र आपके साथ केवल मित्रता के कारन ही साथ नहीं रहते है बल्कि उनका एक प्रकार का स्वार्थ भी होता है, जबतक आप उनके स्वार्थ की पूर्ति के लिए समर्थ होते है वो आपका साथ देते है, और जब आप ऐसा करना बंद कर देते है तो वो आपसे भी पीछा छुड़ाने की कोशिश करते है, इस संसार में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य का कुछ न कुछ तो स्वार्थ जरुर होता है और इस बात को ठुकराया नहीं जा सकता. हां अगर आप किसी व्यक्ति को सचमुच आपके साथ रखना चाहते है उन्हें वश में करना चाहते है तो आपको चाणक्य ने बताई हुयी नीतियों पर गौर करना होगा, तभी आप अपने जीवन में सफल हो सकते है, आज मैं आपको आचार्य चाणक्य ने बताई हुयी ऐसी ही वशीकरण की कुछ नीतिया बताने जा रहा हु जिससे आप किसी को भी बड़ी आसानी से वश में कर सकते है और उनसे अपना कम निकलवा सकते है.
आचार्य चाणक्य अपने श्लोक में कहते है..
लुब्धमर्थेन गृह्णीयात्स्तब्धमञ्जलिकर्मणा।
मूर्खश्छन्दानुरोधेन यथार्थवादेन पण्डितम्॥
इस श्लोक में उन ४ प्रकार के लोगो का वर्णन किया है और उन्हें वश में कैसे करना है ये बताया है आईये जानते है की किन लोगो को कैसे वश में किया जाए..
१.लालची: लालची स्वभाव के व्यक्तियों को तो आप जानते ही होंगे, कपट से भरे लालची लोग अपने लालच को पाने के लिए हर हद को पार करने की कोशिश करते है. लालच के भी प्रकार होते है, किसी को धन का लालच होता है तो किसी को वस्तुओ का लालच होता है.
आप भी ऐसे लोगो से जीवन में कही न कही मिले तो होंगे ही, जब उनको आपसे कुछ चाहिए होता है तो वो आपसे मीठी मीठी बाते करने लगते है और आपके हर काम को करने में मदत भी करते है, जबतक उनको आपसे जो चाहिए मिल नहीं जाता वो आपकी गुलामी भी करने लगते है, हां,आचार्य चाणक्य कहते है लालची लोगो को धन देकर वश में किया जा सकता है, और उसमे भी आपको उनको एक ही बार सबकुछ नहीं देना होता है, लालची व्यक्ति को थोडा थोडा करके देकर उसे वश में किया जा सकता है, क्यूँ की लालची को अगर आपसे एकही बार में सबकुछ मिलजायेगा तो बाद में वो आपकी तरफ देखेगा भी नहीं और ना आपकी कभी बात मानेगा.
२.अहंकारी : आचार्य चाणक्य ने अहंकारी लोगो को भी वश में करने का तरिका बताया है, अहंकारी तो अहंकारी होता है, उसे उसके पास जो कुछ भी होता है उसपे उसे अहंकार होता है, ऐसे लोगो का अहंकार तोड्नेपर वो आपके कुछ कामके नहीं रह जायेंगे, वो आपको ही दुश्मन मानने लगेंगे, और फिर आपके लिए मुश्किल बन सकते है. अतः ऐसा नहीं करना चाहिए, अहंकारी आदमी को आप उसकी तारीफ करकर या उसको हाथ जोड़कर ही वश में कर सकते है, अहंकारी मनुष्य हमेशा स्वयं की तारीफ का भूखा होता है, जो उसकी तारीफ करते है वो उनकी बात तुरंत मान्लेता है, और उसे उनकी बातो पर यकीं भी होता है, अतः चाणक्य कहते है अहंकारी व्यक्ति से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए क्यूँ की अहंकार के आवेश में आकर वो आपके साथ बुरा व्यव्हार करसकता है इसलिए उससे हमेशा बचे.
३.मुर्ख : मुर्ख व्यक्ति उसे कहते है जिसे न समाज का ज्ञान होता है ना स्वयं के हितो का ज्ञान होता है, वो बिना विचार करे ही कुछ भी बोलने लगता है और नासमझ की तरह किसी के भी विषय में अभद्र टिपण्णी करने लगता है, मुर्ख व्यक्ति हमेशा मार्ग से भटकते रहते है और छोटी छोटी भूल करके बड़ी बड़ी परेशानी में फास जाते है, और जीवन में हमेशा असफलता का शिकार बनते रहते है, आचार्य चाणक्य कहते है मुर्ख व्यक्ति को अगर कोई उपदेश देने वाला मिलजाता है तो वो उसके वश में ही काम करने लगता है, मुर्ख को बार बार उपदेश देने के पश्चात भी वो गलती करता रहता है और बार बार उपदेश लेने भी आजाता है, ऐसे समय में जो उसके हित की बात करके उसे कठोर भाषा में उपदेश देता है वो उसके वश में हो जाता है और उस उपदेश देने वाले की बातो को मानने लगता है. आपको को भी कभी कभी ऐसे मुर्ख मिले होगे, कभी कभी ये मुर्ख लोगो किसी स्त्री के मोह में फंस जाते है और स्वयं के जीवन को बर्बाद करने में लग जाते है, ऐसे समाज में जो भी कोई उन्हें उपदेश देने वाला मिल्जता है जो उन्हें जीवन की सही रह दिखाता है वे उसके वश में हो जाते है.
४.विद्वान व्यक्ति: आप सभी को अचंबा हो रही होगी, की भले विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति को भले कोई कैसे वश में कर सकता है, वैसे तो ज्ञानी लोग ही दुसरो को वश में करते है और वो ही सच्चे राज्यकर्ता होते है, तो महँ ज्ञानी चाणक्य जो स्वयं एक विद्वान थे उन्होंने इसका हल भी बताया है, ज्ञानी लोगो को हमेशा सत्य की चाह होती है वो हमेशा सच्चाई को ही पसंद करते है और उसका साथ देते है, तो विद्वान लोगो को अगर वश में करना है आपको उनसे हमेशा सत्य ही बोलना होगा, जैसे आप कोई अख़बार पढ़ते है अगर वो अख़बार हमेशा झूठी खबरे छपने लगता है तो उसे समझदार लोग पढना बंद करदेते है, लेकिन अगर कोई अख़बार हमेशा सत्य खबरे पुष्टि के साथ बताता है तो ज्ञानी लो ऐसे अख़बार पर आख मुंद कर के भरोसा करने लगते है और कभी वो अखबार गलती से झूठी खबर भी छापदेता है वो बड़े से बड़े ज्ञानी भी उसे सत्य मान लेते है, उसीतरह ही अगर आप किसी ज्ञानी व्यक्ति को हमेशा सत्य बोलेंगे तो वो आपके वश में हो जायेगा वो आपकी कही गयी हर बात को सत्य समझकर ही आपको सुनने लगेगा.