क्या धन और पति-पत्नी का मतलब ही जीवन है? Osho

पश्चिम का मनोविज्ञान-कहें आज का मनोविज्ञान, क्योंकि पश्चिम का जो है वह आज का है, इस सदी का है, आधुनिक है-आधुनिक मनोविज्ञान मन की दृष्टि से जो रुग्ण लोग हैं उनकी चिकित्सा करता है। जो सामान्य नहीं है, अस्वस्थ हैं, उनकी चिकित्सा करता है। बुद्ध का मनोविज्ञान उनकी चिकित्सा करता है जो सामान्य हैं और स्वस्थ हैं।
कोई आदमी पागल हो गया, उसकी चिकित्सा करता है आधुनिक मनोविज्ञान। कोई आदमी जब तक पागल न हो जाए तब तक आधुनिक मनोविज्ञान से उसका कोई लेना-देना नहीं है। वह बीमारी को ठीक करने का उपाय है। लेकिन बुद्ध के पास वे लोग जाते हैं जो पागल नहीं हैं, वरन अगर हम ठीक से समझें तो होश में भर गए हैं और अब पागल नहीं रहना चाहते, पागल नहीं होना चाहते।
सामान्य हैं, स्वस्थ हैं। साधारण लोग भी उनकी दृष्टि से ज्यादा पागल हैं। जिनको जीवन का होश आ गया है, जिन्होंने जीवन की समझ पा ली है, अब वे बुद्ध से कहते हैं, अकेले स्वस्थ होने से क्या होगा, सत्य भी चाहिए। स्वस्थ होना काफी नहीं है। सत्य के बिना स्वास्थ्य का भी क्या करेंगे? तो स्वस्थ को और परम स्वास्थ्य की तरफ ले जाने की व्यवस्था है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *