ओशो के निधन के उन पांच घंटों में क्या हुआ था!

ओशो के एक भक्त ने उनकी वसीयत में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट से इसकी सीबीआई जांच करवाने की अपील की है। मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई की जानी है। जानिए किसने लगाए ये आरोप और क्या है ओशो की मौत के आखिरी पांच घंटे का रहस्य…
– यह आरोप लगाने वाले योगेश ठक्कर उर्फ प्रेमगीत ओशो फ्रेंड्स फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं।
– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने ओशो की मौत के कारणों पर शक जताया है।
– उन्होंने कहा कि ओशो की इनटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी का आए दिन ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में लेन-देन हो रहा है। जो कि गैर-कानूनी तरीके से जारी है।
– उन्होंने इसके पीछे ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन के छह ट्रस्टियों का हाथ बताया।
– ठक्कर के मुताबिक यह लोग अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल करते हुए ओशो की इनटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई का मिसयूज कर रहे हैं।
1987 में बदल दिया था ओशो फाउंडेशन का नाम…
– 1979 से ओशो के अनुयायी रहे ठक्कर ने नवंबर 2013 में ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन के ट्रस्टियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी।
– आरोप है कि इनके कहने पर ही ओशो की फर्जी वसीयत तैयार की गई।
– उन्होंने बताया कि कार्रवाई करने के बजाय पुलिस दो साल से सिर्फ ओशो के हस्ताक्षरों की जांच रिपोर्ट के इंतजार में बैठी है।
– ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन सबसे पहले 1984 में रजनीश फाउंडेशन यूरोप के नाम से रजिस्टर हुआ था। फिर 1987 में नाम बदलकर इसे नियो संन्यास इंटरनेशनल फाउंडेशन कर दिया गया। 1990 में इसका नाम ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन हो गया।
आखिरी पांच घंटे का रहस्य…
– 80 साल के डॉक्टर गोकाने 19 जनवरी 1990 को पुणे के आश्रम में ही मौजूद थे। जब आश्रम के लाओत्से हाउस के बेडरूम में ओशो ने देह त्यागी थी।
– डॉक्टर गोकाने का आरोप है कि ओशो की मौत के पांच घंटे पहले उनके आश्रम में कई रहस्यमयी घटनाएं हुई थीं।
– इस बारे में गोकाने ने कोर्ट में एफिडेविट भी दायर किया गया है।
– गोकाने के एफिडेविट के मुताबिक, जिस दिन ओशो की मौत हुई थी उस दिन वे घर में थे।
– दिन में एक बजे ओशो के करीबी स्वामी जयेश के प्राइवेट सेक्रेटरी स्वामी चितिन उन्हें लेने आए थे।
– चितिन कहा कि वे अपना लेटर हैड और मेडिकल किट साथ में रख लें। आपको स्वामी जयेश ने बुलाया है।
– इसके बाद चितिन, गोकाने को स्वामी जयेश के रूम में ले गए। तब जयेश ने कहा कि डॉक्टर अमृतो उर्फ डॉक्टर जॉन एंड्रू आपके पास आएंगे।
– कुछ देर बार डॉक्टर अमृतो आए और कहने लगे कि ओशो मर रहे हैं। उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। मैं भी रोने लगा।
– अमृतो, गोकने से कहने लगे कि क्या आप इस तरह से अपने गुरु को विदा देंगे।
– आप अपने आप को संभालो और आश्रम की जिम्मेदारियों को संभालो।
– इसके बाद गोकाने को अमृतो और जयेश ने मेडिकल बैग सहित ओशो के कमरे में बुलाया गया और उनसे डेथ सर्टिफिकेट लिखने कहा।
– दोनों ने कहा कि हमें ओशो का अंतिम संस्कार करना है इसलिए डेथ सर्टिफिकेट बनाओ।
– इस पर गोकाने ने मौत की वजह पूछी क्योंकि उन्होंने ओशो को मरते हुए नहीं देखा था।
– जब गोकाने ओशो के कमरे में गए तो एक करवट पर ओशो लेटे हुए थे।
ओशो की बॉडी थी गर्म, नहीं जकड़े थे मसल्स
– बता दें कि जब ओशो की मौत हुई तब आश्रम में कई विदेशी डॉक्टर और अन्य लोग मौजूद थे।
– इस पर गोकाने को शक हुआ कि इतने सारे बड़े डॉक्टर होने के बावजूद उन्हें क्यों बुलाया गया है।
– बाद में गोकाने ने ओशो का पासपोर्ट मंगवाया और शरीर पर मौजूद तीन निशान सर्टिफिकेट में लिखने का आग्रह किया।
– जब गोकाने ओशो की बॉडी पर निशान देखने पहुंचे तो वो हैरत में रह गए।
– उन्होंने देखा कि ओशो की बॉडी गर्म थी। उनके स्नायु भी जकड़े हुए नहीं थे।
– डॉक्टर गोकाणे बताते हैं कि मौत के बाद शरीर के मसल जकड़ जाते हैं, लेकिन ओशो के साथ ऐसा नहीं था।
– तब मुझे लगा कि ओशो की मौत डेढ़ घंटे पहले हुई थी।
डॉक्टर को नहीं करने दी जांच
– ठक्कर का दावा है कि ओशो के करीबी अनुयायियों ने डॉक्टर को डेथ सर्टिफिकेट जारी करने से पहले उनकी लाश की जांच भी नहीं करने दी थी।
– ओशो का डेथ सर्टिफिकेट डॉ. गोकुल गोकनी ने जारी किया था। वह 1973 से ओशो के अनुयायी हैं। एक एफिडेविट में उन्होंने माना कि मौत से पहले उन्हें ओशो को देखने नहीं दिया गया था।
– उन्हें बस मौत के बाद सर्टिफिकेट देने को कहा गया। जब उन्होंने मौत की वजह पूछी तो वहां मौजूद दो अनुयायियों ने हार्ट अटैक बताया।
– डॉक्टर का दावा है कि उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया था और वह कुछ भी नहीं बोल पाए थे।
ओशो की विरासत से सालाना करोड़ों डॉलर की कमाई
– ओशो की मौत 19 जनवरी, 1990 को हुई थी। दुनियाभर में उनके करोड़ों अनुयायी हैं। ओशो अपने पीछे इनटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी का भारी खजाना छोड़ गए हैं।
– इनमें नौ हजार घंटे के प्रवचन, 1870 घंटे के भाषण और करीब 850 पेंटिंग शामिल हैं। उनके वक्तव्यों पर आधारित 650 किताबें 65 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
– इस इनटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी से सालाना करोड़ों डॉलर की आमदनी होती है। ठक्कर का आरोप है कि ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन के छह ट्रस्टियों ने देश से बाहर कंपनियां और ट्रस्ट बना रखे हैं।
– इनटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट़स की रॉयल्टी गैर कानूनी तरीके से वहां ट्रांसफर की जा रही है।
96 नई रोल्स रॉयस कारें…
ओशो की एक शिष्या के मुताबिक, ओशो का आश्रम उनके मन-मुताबिक और काफी अच्छा होने के बावजूद वे खुश नहीं थे। वे बोर हो रहे थे। एक दिन उन्होंने कहा कि उन्हें एक महीने में 30 नई रोल्स रॉयस गाड़ियां चाहिएं, जबकि उस समय उनके पास 96 नई रोल्स रॉयस कारें थीं। जाहिर था कि वो सिर्फ अपनी बोरियत मिटाने के लिए नई गाड़ियां चाहते थे। 30 नई रोल्स रॉयस कारों का मतलब था करीब 3 से 4 मिलियन डॉलर। इतनी बड़ी रकम सिर्फ आश्रम के बजट में कटौती करके ही जुटाई जा सकती थी, ले‌किन भगवान ओशो ने मुझे इस रकम को पाने के लिए 50-60 लोगों के नाम की लिस्ट दी, जो काफी धनी थे।

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