धूम्रपान के पैकेट पर वैधानिक चेतावनी लिखी होती है कि ‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।’ चेतावनी के बावजूद दिन-ब-दिन सिगरेट पीने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली आधुनिक महिलाएं सिगरेट पीने में भी पुरूषों से कमतर नहीं होना चाहती। इसलिए बड़ी संख्या में महिलाएं भी धूम्रपान यानी सिगरेट पीने लगी हैं। लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो सिगरेट पीने की आदत को छोड़ना चाहते हैं लेकिन अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाते।
सिगरेट छोड़ने की चाहत रखने वालों के लिए ओशो का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण बात है धूम्रपान को न रोकना, सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इस बात को देखना कि तुम धूम्रपान करते क्यों हो? यदि तुम इसका कारण न समझ पाए, और यदि कारण को न हटाया गया, तब तुम च्यूइंगम चबाने लगोगे, क्योंकि मूलभूत कारण वहीं का वहीं है और तुम्हें कुछ और करना पड़ेगा। यदि तुम च्यूइंगम नहीं शुरू करते तब तुम बहुत अधिक बोलने लगोगे।
मेरा सुझाव है कि अपनी धूम्रपान की आदत में गहरे जाओ। इस पर ध्यान करो, कि तुम धूम्रपान क्यों करते हो। हो सकता है कि इसमें तुम्हें कुछ माह लगे किन्तु जितने गहरे तुम जाओगे उतने ही इससे मुक्त होने लगोगे, धूम्रपान को रोको मत। यदि यह तुम्हारी समझ से छूट जाए तब बिल्कुल बात भिन्न होगी। यह छूटती है, क्योंकि तुम इसके मूल कारण में गए और तुमने कारण देख लिया।
बलपूर्वक खुद को धूम्रपान करने से मत रोको, इसे स्वयं जाने दो, साक्षी भाव से। मैं सुझाव दूंगा कि सदा साक्षी रहो, ध्यान रखो, सजग रहो, मूल तक जाओ। यह जीवन का मूलभूत नियम है, यदि तुम किसी बात का मूल जान लो वह लुप्त हो जाती है, वह वाष्पीभूत हो जाती है। जब तक किसी चीज का मूल न जान लो वह एक या दूसरे स्वरूप में जारी रहती है।