ओशो की वाणी में सम्मोहन की शक्ति नहीं बल्कि बात की गहराई है। जो उनको सुनने वालों के सीधे मन को झकझोर देती है।
उनकी वाणी उस अथाह सागर की तरह है जिसमें कहीं से भी कुछ भी ओशो अपने प्रवचनों में समाहित कर देते थे।
ओशो को मानने वाले और न मानने वाले इस दुनिया में कई मिल जाएंगे। लेकिन उन्होंने ऐसी कई बातें कहीं हैं जिन्हें उनके विरोधी भी मानते हैं।
ध्यान से करें विवेक जाग्रत
संसार की सबसे बड़ी दौलत है ध्यान। यही एकमात्र ऐसी दौलत है, जिसे मौत भी नहीं छीन सकती। बाकी सारी वस्तुएं मौत छीन लेती है। इसलिए ध्यान की खोज जीवन की खोज है। ध्यान जरूर करें।
काम का अर्थ
इसका अर्थ है दूसरे से सुख पाने की लालसा। मान लीजिए आप सड़क पर हैं और कोई सुंदर वस्तु जो चेहरा भी हो सकता है, दिखाई दे उसे देखते ही आपकी इंद्रियां और मन दौ़ड़ने लगता है। मन और इंद्रियां विषयों की तरफ भागने लगती हैं। इसीलिए इंद्रियों को विषयों तक जाने से रोकने के लिए जागना जरूरी है।
सब कुछ सच नहीं
जागते हुए जो हमारे मन की आदत है सपने में उसी का फल दिखाई देता है इसलिए जागते रहो।
धैर्य रखें
जल्दी न करें। जल्दबाजी किसलिए। वक्त पर किए गए कर्म का फल जरूर आता है। उम्मीद मत छोड़िए। उसे आना ही है। चिंता फल के आने का सबसे बड़ी बाधा है।
उत्साह बनाए रखें
संसार में दुःख हैं और इस दुःख का कारण है। इन्हीं दुःखों के बीच मन को शांत, खुश और उत्साही बने रहें।
ये नारजगी क्यों
जब भी आपको गुस्सा आए तो, दो-चार लंबी गहरी सांस लें। क्रोध के साक्षी बनना। क्रोध को देखना। क्रोध के दर्शन से क्रोध की ऊर्जा क्षमा में बदल जाती है।
कैसा डर
मन चंचल है, इसे रोको मत। मन वह दवा है जो उभरेगा। उसे रास्ता दो। डर से मुक्ति मिल जाएगी।
स्वाद का संसार
जब हम स्वादिष्ट खाना खाते हैं तो स्वाद में खो जाते हैं। उसी पल अगर मह स्वाद के प्रति जाग जाएं तो स्वाद से ऊपर उठने लगते हैं।
नशा नाश की जड़
नशा करने से इंद्रियें शिथिल हो जाती हैं। होशियारी और समझदारी इसी में हैं कि हम नशे से दूर रहें।