ऐसे लोगों के आस पास मौत घूमती रहती है Osho

जीवन और मृत्यु विपरीत हैं हमारे देखे, लेकिन अगर परमात्मा की दृष्टि से देखो तो सहयोगी हैं। जैसे दो पंख न हों तो पक्षी न उड़े, और दो पैर न हों तो तुम न चलो, ऐसे जीवन और मृत्यु दो पैर हैं अस्तित्व के।
अब इस बात की गहराई में उतरो। अगर तुम बहुत जीने की आकांक्षा से भरे हो, तो तुम मृत्यु से डर जाओगे; क्योंकि जीवन का सत्य मृत्यु है। अगर जीवेषणा बहुत गहरी है, तो तुम बहुत घबड़ाओगे मौत से; तुम जीना चाहते हो और मौत आ रही है।
और मजा यह है कि मौत जीने के सहारे ही आ रही है। जितना जीओगे, उतनी मौत करीब आ जाएगी। ज्यादा जीओगे तो कैसे बचोगे? जीओगे तो प्रतिपल जो जीवन में गया, वह सीढि़यां मौत की ही बन रही हैं।
इसलिए जो आदमी जीवन के लिए जितना आतुर है और जितना जीवेषणा से भरा है, सोचता है जीऊं, खूब जीऊं, वह आदमी उतना ही मौत से कंप रहा है। क्योंकि वह देखता है, मौत आ रही है-जीवन का सत्य मृत्यु है।
जीवन मृत्यु के अतिरिक्त और कहीं ले भी तो नहीं जाता। कैसे ही जीओ-अच्छे जीओ, बुरे जीओ; साधु की तरह, असाधु की तरह; सज्जन की तरह, दुर्जन की तरह; गरीब की तरह, अमीर की तरह; कैसे ही जीओ, लेकिन सब जीवन मृत्यु में ले जाता है।
किसी दिशा में आओ दौड़ते आओ कि धीमे आओ; पैदल आओ कुछ भेद नहीं पड़ता, सभी मृत्यु में जाते हैं। अंतिम मंजिल एक है। सब जीवन, सब जीवन-सरिताएं मृत्यु के सागर में गिर जाती हैं।
जितनी जीवन की आकांक्षा होगी, स्वभावतः मृत्यु का भय उतना ही होगा। जिन लोग को तुम देखते हो मौत से डरे हैं, वे वही लोग हैं जो जीवन बचाए रखने को बहुत आतुर हैं। मृत्यु से भयभीत होता हुआ आदमी सिर्फ एक ही खबर देता है कि वह जीवन को पकड़े रखना चाहता है।
जितनी जोर से जीवन को पकड़ता है उतनी ही मौत हाथ में आती है और उतना ही वह घबड़ा जाता है। जीवन का सत्य मृत्यु है।
फिर मैं तुमसे दूसरी बात कहता हूं मृत्यु का सत्य जीवन है। जो मरने को राजी है, जो मरने का स्वागत करने को तैयार है, जो मरने को कहता है अभिनंदन, जो मरने को जरा भी घबड़ाया नहीं है, जरा भी भयभीत नहीं है, जरा भी जिसके मन में मृत्यु से कोई दुर्भाव नहीं, जो मृत्यु में ऐसे जाने को तैयार है जैसे कोई मां की गोद में सो जाने को तैयार हो, ऐसे व्यक्ति को महाजीवन का दर्शन हो जाता है।
मृत्यु के द्वारा जीवन का अनुभव हो जाता है। मृत्यु का सत्य जीवन है। इसलिए बुद्धों को जीवन का अनुभव होता है। योगियों को जीवन का अनुभव होता है। भोगियों को सिर्फ मृत्यु का अनुभव होता है।
जीसस का प्रसिद्ध वचन है–जो अपने को बचाएंगे वे नष्ट हो जाएंगे, और जो अपने को नष्ट करने को राजी है, वह बच गया।

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